
सरकार के सोशल मीडिया को लेकर नए IT नियम के बाद दोनों पक्षों में तकरार बढ़ गई हैं। अब ज़रा इस विवाद को भी समझ लीजिए कि आखिर ये विवाद है क्यों, दरअसल एक लंबे समय से देश में सोशल प्लेटफार्म को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। ऐसे में तीन महीने पहले केंद्र सरकार ने एक गाइडलाइन जारी की थी।
जिसके मुताबिक सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को किसी शिकायत पर कार्रवाई के लिए व्यवस्था बनानी है, जिसमें 3 अधिकारियों, चीफ कॉम्प्लियांस अफसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेसिडेंट ग्रेवांस अफसर नियुक्त करना है। जिसका नियम ये है कि ये सभी भारत में ही रहते हों, वेबसाइट और ऐप पर इन लोगों का कॉन्टेक्ट नंबर पब्लिश करना जरूरी है। जिससे कि लोग शिकायत कर सकें और दर्ज शिकायत के बारे में 15 दिनों में अपडेट बताना जरूरी है। इसके साथ ही गाइडलाइन में कहा गया कि… ऐसा सिस्टम बनाया जाए, जिसके जरिए रेप, बाल यौन शोषण के कंटेंट की पहचान हो सके और ऐसे कंटेट को हटाया जा सके… साथ ही इस पूरे सिस्टम पर नजर रखने के लिए स्टाफ रखने को कहा।
हर महीने रिपोर्ट छापी जाए
साथ ही गाइडलाइन में कहा गया कि इन सोशल प्लेटफॉर्म को हर महीने एक रिपोर्ट पब्लिश करनी होगी, इसमें महीने में आई शिकायतों, उन पर लिए गए एक्शन की जानकारी हो। जो लिंक और कंटेंट हटाया गया हो, उसकी जानकारी दी गई हो।
आपत्तिजनक कटेंट पर लगाम
इसके साथ गाइडलाइन में कहा गया कि अगर प्लेटफॉर्म किसी आपत्तिजनक जानकारी को हटाता है तो उसे पहले इस कंटेंट को बनाने वाले, अपलोड करने वाले या शेयर करने वाले को इसकी जानकारी देनी होगी। इसका कारण भी बताना होग, यूजर को प्लेटफॉर्म के एक्शन के खिलाफ अपील करने का भी मौका दिया जाए।
आपको बता दें कि सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए ये गाइडलाइन 25 फरवरी को जारी की थी, तीन महीने का समय दिया गया था। डेडलाइन कल यानी 25 मई तक थी… जो अब खत्म हो चुकी है, लेकिन, सरकार को जवाब नहीं दिया गया। फेसबुक का कहना है कि सरकार से बात चल रही है, वहीं व्हाट्सऐप तो दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
- शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था
- 3 अधिकारी नियुक्त किए जाएं
- अधिकारियों का नंबर सार्वजनिक हो
- 15 दिनों में अपडेट बताया जाए