
अहमदाबाद की दवा कंपनी जायडस कैडिला ने दावा किया है कि उसने कोविड-19 का इलाज करने के लिए दवा खोज ली है। क्लीनिकल ट्रायल्स में यह दवा 91% तक असरदार साबित हुई है। इसकी वजह से ऑक्सीजन चढ़ाने की जरूरत भी कम हुई है। कंपनी को इस दवा के लिए शुक्रवार को ड्रग रेगुलेटर से अप्रूवल मिल गया है। इस दवा का नाम ‘वीराफिन’ रखा गया है। भारत में एक दिन में 3.32 लाख नए केस आए हैं। वहीं, एक्टिव केस 24 लाख का आंकड़ा पार कर गए हैं। ऐसे में अहमदाबाद की कंपनी का यह दावा बहुत महत्वपूर्ण है।
Drugs Controller General of India (DGCI) । approves emergency use for Zydus Cadila's । Pegylated Interferon alpha-2b, ‘Virafin’ | अहमदाबाद की कंपनी जायडस की वीराफिन को DGCI से इमरजेंसी अप्रूवल मिला, कंपनी का दावा- कोविड पर 91% असरदार है दवा https://t.co/eugGQ1FZYK
— Zydus Lifesciences Ltd. (@ZydusUniverse) April 23, 2021
आइए, जानते हैं कि क्या है यह दवा और क्या है कंपनी के इस दावे का महत्व?
क्या है दवा और इस पर कंपनी का दावा?
- जायडस कैडिला का कहना है कि उसने कोविड-19 इंफेक्टेड मरीजों पर पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b दवा का क्लीनिकल ट्रायल किया। क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री पर कंपनी के दस्तावेज के मुताबिक दवा का असर जानने के लिए ये ट्रायल्स दिसंबर 2020 में शुरू हुए थे। 250 मरीजों को इस ट्रायल में शामिल किया गया।
- पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b थैरेपी कोई नई दवा नहीं है। 2011 में ये हेपेटाइटिस C का इलाज करने के लिए भारतीय बाजार में उतारी गई थी। तब से इस दवा से कई क्रॉनिक हेपेटाइटिस B और C मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
- वीराफिन देने पर 91.15% मरीज 7 दिन में ही RT PCR निगेटिव हो गए। इसकी तुलना में स्टैंडर्ड ऑफ केयर (SOC) से इलाज करने पर 78.90% मरीज ही 7 दिन में RT PCR निगेटिव हो सके हैं।
- वीराफिन देने के बाद मॉडरेट मरीजों को सिर्फ 56 घंटे ही ऑक्सीजन देनी पड़ी, जबकि स्टैंडर्ड ऑफ केयर में 84 घंटे ऑक्सीजन देनी पड़ रही है। जल्दी सिंगल डोज देने पर मरीजों की सेहत में काफी सुधार दिखा है।
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इस दावे का क्या महत्व है?
- इस समय कोविड-19 इन्फेक्शन के इलाज में एंटी-वायरल दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें रेमडेसिविर जैसी दवाएं महंगी हैं। वहीं, वीराफिन के शुरुआती नतीजे साबित करते हैं कि कोविड-19 इन्फेक्शन के शुरुआती स्टेज में अगर यह दवा दी जाती है तो मरीजों को तेजी से रिकवर होने में मदद मिलती है। इस दवा से एडवांस स्टेज पर होने वाली जटिलताओं को भी रोकने में मदद मिलती है। यह ट्रीटमेंट सिंगल डोज है, जिससे यह कम खर्चीली और किफायती है।
- कंपनी का दावा है कि उम्र बढ़ने से शरीर की वायरस इन्फेक्शन के जवाब में इंटरफेरॉन अल्फा बनाने की क्षमता कम हो जाती है और यह कोविड-19 पॉजिटिव बुजुर्गों की मौतों का कारण हो सकता है। अगर जल्द ही PegIFN दी जाती है तो दवा इस कमी को दूर कर रिकवरी प्रक्रिया में तेजी ला सकती है।
- कंपनी का दावा है कि इसी साल कोविड-19 के इलाज पर नेचर पब्लिकेशन में छपी एक स्टडी में भी इंटरफेरॉन ट्रीटमेंट को स्टेरॉइड्स के साथ देने पर सामने आए नतीजों की जानकारी दी गई थी। जायडस की दवा के नतीजे भी इसी स्टडी की पुष्टि करते हैं।
- कैडिला हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शर्विल पटेल का कहना है कि पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b दवा के फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं। अगर कोविड-19 मरीजों को शुरू में ही यह दवा दी जाती है तो वायरस को रोकने में मदद मिलती है। यह बात हमारे क्लीनिकल ट्रायल्स में भी साबित हुई है।
- कैडिला ने यह भी कहा कि कंपनी यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) के साथ मिलकर काम कर रही है। अमेरिका में भी पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b के क्लीनिकल ट्रायल्स शुरू किए जाने हैं। इसके अलावा मैक्सिको में भी इस तरह के ट्रायल्स होने वाले हैं।
कैसे मिलेगी यह दवा?
- कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि वीराफिन सिर्फ अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ही दी जाएगी। वह भी डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर। कंपनी ने यह भी कहा कि सांस लेने में आने वाली दिक्कतों को भी यह दवा काफी हद तक दूर करेगी। कोरोना के साथ ही यह अन्य वायरल इन्फेक्शन में भी कारगर है।