बचपन से बिजनेस का हुनर रखने वाले माल्या के साम्राज्य का ऐसे हुआ पतन

बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपये लेकर भागने वाले मशहूर शराब कारोबारी विजय माल्‍या को करीब 13 महीने के बाद लंदन में प्रत्‍यर्पण मामले में गिरफ्तार कर वेस्‍टमिंस्‍टर कोर्ट में पेश किया गया था। अब उसे भारत लाया जा रहा है। बता दें कि माल्या को बिजनेस की नोलेज काफी अच्छा थी, मगर अपनी कुछ गलतियों की वजह से उसके साम्राज्य का पतन हुआ है। आपको बताते है विजय माल्या के जीवन से जुड़ी कई बातें।

विजय माल्या का जन्म 18 दिसम्बर सन 1955 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुआ। विजय माल्या के पिता विट्टल माल्या कर्नाटक के गौड़ सारस्वत ब्राम्हण परिवार से ताल्लुक रखते थे। इनकी माता का नाम ललिता रमैया था। विट्टल माल्या अपने समय में यूनाइटेड ब्रेवेरी ग्रुप के चेयरमैन थे। विजय माल्या की शुरूआती पढाई लिखाई कोलकाता के ला मार्टिनियर स्कूल से हुई। इसके बाद इन्होंने सैंट ज़ेवियर कॉलेज से कॉमर्स में होनौर्स के साथ स्नातक की पढाई पूरी की। अपने कॉलेज के दौरान विजय माल्या ने अपने पारिवारिक व्यापार में इंटर्न के तौर पर कार्य किया।

बिजनेस की थी बेहतर जानकारी
व्यापारिक परिवार से आने की वजह से माल्या को व्यापार की ख़ूब जानकारी थी। सन 1983 में सिर्फ 28 वर्ष की अवस्था में विजय माल्या को यूनाइटेड ब्रेवेरिएस ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया। इस दौरान ये ग्रुप एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के तौर पर अपनी पहचान बना चुका था, जिसमें तात्कालिक समय में कुल 60 कंपनियां काम कर रही थीं। विजय माल्या की बियर कंपनी किंगफ़िशर भारत में पीए जाने वाले बियर में लगभग आधे की हिस्सेदारी रखता है। सन 2005 में विजय माल्या ने किंगफ़िशर एयर लाइंस की स्थापना की। ये विजय माल्या के व्यापार का सबसे बड़ा रूप था। मगर, सन 2013 कंपनी के सितारे जमीन पर आ गए और इस एयरलाइन कंपनी का लाइसेंस रद्द हो गया।

इन बैंकों से माल्या ने लिया लोन
अपनी आलिशान लाइफ को बनाए रखने और अपने एयरलाइंस कंपनी को वजूद में रखने के लिए माल्या ने कई सरकार द्वारा नियंत्रित बैंको से ऋण लेना शुरू किया। ये ऋण अभी तक विजय माल्या द्वारा नहीं भरा जा सका है। जिन बैंकों से माल्या ने लोन लिया है, उनमें स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ इंडिया, बैंक ऑफ़ बड़ोदा , यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया जैसे नामचीन बैंक शामिल है।

साल 2016 में देश से भागा माल्या
माल्या ने कई अन्य बैंकों से भी ऋण लिए थे। किंगफ़िशर के पास बैंक को देने के लिए कुछ नहीं बचा था। जिसके चलते बैंकों को उनके ऋण की भरपाई करने में खूब मुश्किल हो रही थी। एक ही रास्ता बचता था कि विजय माल्या अपनी निजी संपत्ति से ये ऋण चुकाएं। सन 2016 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विजय माल्या को देश न छोड़ने का आदेश दिया था, किन्तु ऐसा माना जाता है कि विजय इस आदेश से पहले ही देश छोड़ चुके थे। 13 मार्च में हैदराबाद के एक कोर्ट ने इनके खिलाफ एक ग़ैर ज़मानती वारंट निकाला था, जिसे माल्या के वकील ने एक उच्च न्यायलय में चुनौती दी थी।

ऐसे हुआ माल्या के साम्राज्य का पतन

सन 2012: किंगफिशर एयरलाइंस का स्टाफ सैलरी नहीं मिलने के विरोध में हड़ताल पर चले गए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किंगफि‍‍शर एयरलाइंस (केएफए) के अकाउंट्स सीज कर दिए और केएफए का परिचालन बंद हो गया।
सन 2013: डायाजियो ने 6,500 करोड़ रुपए में यूएसएल की 27 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। लेकिन, केएफए को कर्ज देने वालों को पैसे वापस नहीं दिए गए।
सन 2014: यूनाइटेड बैंक ने यूनाइटेड ब्रूअरीज होल्डिंग्स को जानबूझकर कर्जा नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया।
सन 2015: डायाजियो ने माल्या को कहा कि वह यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन का पद छोड़ दें, लेकिन माल्या ने इनकार कर दिया।
सन 2016: डायाजियो के साथ समझौते के तहत चेयरमैन का पद छोड़ा और बदले में उन्हें 515 करोड़ रुपए मिले। लेकिन, बैंकों के आग्रह पर डेट रिकवरी ट्रिब्‍यूनल ने पैसे निकालने पर रोक लगा दी।

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