मुख्यमंत्री की पहल पर हो रहा हेल्थ सेक्टर का कायाकल्प : पीएचसी पर ही मिल जाएंगे विशेषज्ञ चिकित्सकों के सुझाव व दवाएं

हेल्थ एटीएम और टेलीमेडिसिन के जरिए होंगे क्रांतिकारी बदलाव

पीएचसी पर ही मिल जाएंगे विशेषज्ञ चिकित्सकों के सुझाव एवं दवाएं

गंभीर रोगों एवं सर्जरी के मामले में ही होगी अस्पताल जाने की जरूरत

लखनऊ, 14 दिसंबर। यदि मरीज गंभीर रोग से पीड़ित नहीं है। उसे जटिल सर्जरी (ऑपरेशन) की जरूरत नहीं है तो पास के पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) तक जाकर ही स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की पूर्ति हो सकेगी। यहां लगा हेल्थ एटीएम सेहत से जुड़े सभी (60) जांच करके रोग के विषय में जानकारी दे देगा। रोग की वजह किसी पोषक तत्व की कमी या अन्य वजह तो नहीं। इसकी भी जानकारी आसानी से मिल सकेगी। इसके इलाज के लिए लखनऊ के एसजीपीजीआई या केजीएमयू के विशेषज्ञ चिकित्सक से भी सलाह लिया जा सकेगा। यही नहीं, वहीं पर दवाएं भी मिल जाएंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल पर शीघ्र ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी बदलाव दिखने लगेगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में होने वाली इस क्रांति के वाहक बनेंगे हेल्थ एटीएम और टेलीमेडिसिन। इस योजना के तहत सरकार प्रदेश के सभी पीएचसी (4600) पर हेल्थ एटीएम लगाएगी। इन पर जांच करने वालों को सरकार ट्रेनिंग भी देगी। यह व्यवस्था शुरू भी हो चुकी है।

स्वास्थ्य क्षेत्र पर मुख्यमंत्री की विशेष निगाह
दरअसल स्वास्थ्य क्षेत्र पर मुख्यमंत्री की विशेष निगाह रहती है। गोरखपुर संसदीय सीट का करीब दो दशक तक प्रतिनिधित्व करने के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में इंसेफेलाइटिस से दम तोड़ते पूर्वांचल के हजारों मासूमों और इससे उनके माता-पिता को होने वाले दर्द को शिद्दत से महसूस किया है। मुख्यमंत्री होने के बाद उन्होंने इस क्षेत्र में काफी कुछ किया। उन्होंने यह भी देखा कि किस तरह संसाधनों के अभाव में कोई मेडिकल कॉलेज सिर्फ रेफरल केंद्र बनकर रह जाता है। रेफर किये जाने वाले तमाम मरीजों के बचने का गोल्डेन ऑवर लखनऊ, दिल्ली या मुंबई पहुँचते-पहुँचते खत्म हो जाता है। ऐसे में इनमें से कई की असमय मौत हो जाती है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप हेल्थ सेक्टर में जो काम हो रहे हैं, उससे इसमें काफी हद तक कमी आएगी।

इलाज और भर्ती के लिए नहीं होगी मारामारी
यही नहीं विशिष्टता वाले केंद्रों में भी इलाज या दाखिले के लिए पहले जैसी मारामारी नहीं होगी, क्योंकि योगी के कार्यकाल में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 12 से बढ़कर 35 हो गई है। मुख्यमंत्री का लक्ष्य एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज का है। करीब हफ्ते भर पहले योगी सरकार ने ‘एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए 6 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से महोबा, मैनपुरी, बागपत, हमीरपुर, हाथरस और कासगंज में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निवेशकों को चयनित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने वायबलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) स्कीम के तहत छह जिलों में और मेडिकल कॉलेज खोलने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उत्तर प्रदेश पहला राज्य है, जिसने पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए टेंडर जारी किए हैं। इन्हें खोलने में करीब 1525 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और केंद्र सरकार सब्सिडी का करीब 1012 करोड़ रुपये भार उठाएगी। एक कॉलेज को औसतन 160 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलेगी। महराजगंज और शामली में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निवेशकर्ता का चयन कर कार्य शुरू हो गया है। अगले साल तक महराजगंज में उपचार भी शुरू होने की संभावना है। इसके अलावा शामली और मऊ में मेडिकल कॉलेज प्रक्रियाधीन है।

आयुर्वेद समेत अन्य विधाओं पर भी बराबर का ध्यान
यही नहीं, सरकार बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगों को जड़ से खत्म करने वाली इलाज की परंपरागत विधाओं पर भी बराबर ध्यान दे रही है। इसके लिए गोरखपुर में प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय निर्माणाधीन है। चंद रोज पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाजियाबाद के कमला नेहरू नगर में 382 करोड़ की लागत से बने राष्ट्रीय यूनानी केंद्र का भी उद्घाटन किया। उत्तर प्रदेश में होने के नाते इसका सबसे अधिक लाभ भी यहां के लोगों को ही मिलेगा। इस तरह केंद्र एवं प्रदेश सरकार के समन्वित प्रयास से आने वाले वर्षों में प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र का कायाकल्प तय है।