मॉनसून के 4 महीनों में 96 प्रतिशत हो सकती है बारिश, पढ़ें मौसम का लाइव अपडेट

मॉनसून का पूर्वानुमान जिले व उप-जिले स्तर पर करना जरूरी 

नई दिल्ली (ईएमएस)। मौसम विज्ञानियों के लिए मॉनसून इस बार पहेली बना हुआ है। पहले एक निजी एजेंसी ने सामान्य से कम बारिश का अनुमान जताया, फिर भारत के मौसम विभाग ने सामान्य बारिश का अनुमान जताया और कहा कि मौसमी घटना अल नीनो का असर अगस्त-सितंबर में दिख सकता है। इसी अल नीनो के कारण मौसम शुष्क रहता है और कम बारिश होती है। मीडिया के अनुसार अब अमेरिकी एजेंसी ने कहा है कि अल नीनो के इस बार मई-जून में ही आने के ज्यादा आसार हैं। इसी एजेंसी ने पहले इसके जुलाई या अगस्त बाद आने का अनुमान जताया था। मीडिया से अमेरिकी एजेंसी ने दावा किया कि कम बारिश का खतरा बढ़ गया है। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह मॉनसून बदल रहा है, उसी तरह अनुमान को भी बदलने की जरूरत है। एक निजी एजेंसी ने जहां 94 प्रतिशत बारिश की संभावना जताई है। 

वहीं भारतीय मौसम विभाग ने मॉनसून के चार महीनों में 96 प्रतिशत बारिश होने की बात कही है। भारतीय मानकों में 96 से 104 प्रतिशत बारिश को सामान्य माना जाता है। आईआईटी बॉम्बे के अर्थ सिस्टम साइंटिस्ट रघु मुर्तुगुड्डे ने मीडिया को बताया कि मौसम विभाग ने भी कहा है कि अल नीनो के असर के बावजूद देश में 40 प्रतिशत बारिश सामान्य हुई है। 

मॉनसून को सिर्फ सामान्य, कम बारिश और अति बारिश के तराजू में तौलने के बजाय बाढ़, सूखा, फसलों की बर्बादी, स्वास्थ्य पर असर आदि के नजरिए से देखने की जरूरत है। इसके लिए शॉर्ट (1 से 3 दिन), मध्यम (3 से 10 दिन) और एक्सटेंडेड (2 से 4 हफ्ते) के पूर्वानुमान करना जरूरी है। हमें मॉनसून से पहले खाने, पानी, एनर्जी, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्टेशन और अन्य सेक्टरों के लिए तैयारियां करनी होंगी। भले मॉनसून में औसत बारिश सामान्य हो रही है, लेकिन इस विविधता की वजह से किसानों को परेशानी हो रही है। समय आ गया है कि मॉनसून का पूर्वानुमान जिले और उप-जिले स्तर पर किया जाए। उन्होंने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन का ही असर है कि समय से पहले लू चल रही है और बेमौसम बारिश हो रही है।