
लखनऊ: राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कई सिरप को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है. उत्तर प्रदेश के औषधि प्रशासन विभाग ने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है. इससे संबंधित दिशा निर्देश भी रविवार देर शाम जारी कर दिए गये.
सहायक आयुक्त औषधि ने भेजा पत्र: उत्तर प्रदेश के सहायक आयुक्त औषधि की तरफ से सभी औषधि निरीक्षक खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को कफ सिरप में मिलावट के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. सर्कुलर जारी किया गया है कि कुछ राज्यों में कफ सिरप के सेवन के कारण बच्चों की मृत्यु की घटनाएं हुई हैं.

कफ सिरप में पायी गयी मिलावट: मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है कि मेसर्स Sresan Pharmaceutical, Manufacturer. No. 787. Banglore Highways, Sunguvachatram (Mathura), Distt Kanchheepuram-602106 कंपनी से बनी औषधि COLDRIF SYRUP, B.No. SR-13. M/D MAY/2025, E/D APR/2027 में Diethylene Glycol का अपमिश्रण पाया गया है. Diethylene Glycol एक हानिकारक अवयव है, जिसका अपमिश्रण मरीजों के लिये जानलेवा हो सकता है.
उपलब्ध कफ सिरप का सैंपल लेने का आदेश: उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इससे संबंधित गाइडलाइन जारी की गई है. औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों व सरकारी/गैर सरकारी अस्पतालों में उपांकित औषधि या मेसर्स स्रेसन फार्मास्युटिकल से निर्मित अन्य कोई भी कफ सिरप पाये जाने पर उसका सैंपल लेकर अभिरक्षा में लेने/डिस्पोजल रोकने की कार्रवाई सुनिश्चित करें. औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों व सरकारी/गैर सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कफ सिरप का नमूना संकलित करके जरूरी कार्रवाई करें.
लखनऊ की लैब में होगी सैंपल की जांच: प्रदेश में संकलित कफ सिरप के नमूनों का विवरण निम्न गूगल शीट में देख लें और शीट में अंकित औषधि के विवरण से यह सुनिश्चित करें कि एक औषधि (समान औषधि एवं बैच नम्बर) का नमूना एक से अधिक बार संकलित न किया जाये. कफ सिरप के सभी नमूनों को लखनऊ प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए तत्काल भेजे जायें. अपने कार्यक्षेत्र में स्थित निर्माणशालाओं से कफ सिरप और उसमें प्रयुक्त प्रोपाइलिन ग्लाइकॉल (Propylene Glycol) का सैंपल लेकर जांच और विश्लेषण जरूरी है.
हेल्थ मिनिस्ट्री की एडवाइजरी:
- बच्चों के लिए कफ सिरप के इस्तेमाल को सीमित करें.
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सर्दी-खांसी की दवा न दें.
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों में भी दवा आम तौर पर न दें।
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों को दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह लें.
- डॉक्टर सिरप देने के बजाए पहले बिना दवा के राहत के उपायों को बताएं.
- बच्चों को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ, स्टीम दें और गरम पानी पिलाएं.
- बच्चों में खांसी अपने आप ही ठीक होने वाली बीमारी है. यह दवा दिये बिना ठीक हो जाती हैं.
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 11 बच्चों की मौत: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 15 दिनों के अंदर किडनी फेल होने से 11 बच्चों की मौत हो गयी थी. शुरुआती जांच से पता चला कि कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (जहरीला पदार्थ) मिला हुआ था. किडनी की बायोप्सी में बच्चों के शरीर में डायथिलीन ग्लाइकॉल की पुष्टि हुई. अधिकतर पीड़ितों को कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप दिया गया था. छिंदवाड़ा डीएम शीलेंद्र सिंह ने जिले में इन दोनों सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी.
राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत: राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत की वजह कफ सिरप बताया गया. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं था. यह कभी-कभी डायथिलीन या एथिलीन ग्लाइकॉल संदूषण का स्रोत हो सकता है. यह सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फेन आधारित फॉर्मूला था, जो बच्चों के लिए नहीं है.