
सरगना ने डीआरएम भोपाल के फर्जी हस्ताक्षर कर खुद ही तैयार किये थे फर्जी नियुक्ति पत्र, आई कार्ड
भोपाल(ईएमएस)। राजधानी भोपाल की क्राइम ब्राँच पुलिस ने रेल्वे में नौकरी व फर्जी नियुक्ति पत्र देने का झांसा देकर 35 लाख रूपये की धोखाधडी करने वाली गैंग के मास्टरमाइंड सहित दो आरोपियो को गिरफ्तार किया है। गिरोह के सरगना ने खुद ही डीआरएम भोपाल के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी नियुक्ति पत्र और फर्जी आई कार्ड तैयार किये थे। शातिरो ने इंदौर, बैतूल और खंडवा शहरो में दर्जन भर से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाकर ठगी की थी।
जालसाज खुद को रेल्वे भर्ती बोर्ड का अधिकारी बताता था, इतना ही नहीं शातिर आरोपी ने उन सभी को अपने विश्वास में लेने के लिये ट्रैनिंग के नाम पर रेल्वे स्टेशन भोपाल का विजिट भी कराया था। आरोपी ने बिस्टा प्रिंट आनलाईन साइट से फर्जी सील और प्रिंटेड टीशर्ट बनवाये थे। आरोपी करीब चार माह से फरार चल रहा था, जो पुलिस की नजरो से बचने के लिये भोपाल एवं खण्डवा से फरार होकर कोटा में एफएनबी बेकरी पर काम करने लगा था। एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि इंदौर में रहने वाले प्रीतपाल सिंह बाधवा ने लिखित शिकायती आवेदन देते हुए बताया था कि साल 2020 में उनके परिचित संदीप दास ने उनके बेटे प्रतीक को नीरज नेल्सन ब्रेथे नामक व्यक्ति से मिलवाया था। नीरज ने खुद को रेल्वे भर्ती बोर्ड का अधिकारी बतातेह हुए प्रतीक को रेलवे में नौकरी लगवाने की बात कही। बाद में नीरज नेल्शन व संदीप दास ने प्रतीक सिंह बाधव को रेलवे में अकाउंट हेड के पद पर नौकरी लगाने के ऐवज में 8 लाख 35 हजार रुपए ले लिए। बाद में नीरज ने प्रतीक के नाम से फर्जी अपॉइंमेन्ट लेटर जिस पर फर्जी हस्ताक्षर कर सील भी लगी हुई थी, उसे दे दिया। सैलरी के लिए उसका बैंक अकाउंट भी खुलवाया। इतना हीं नहीं बेटे के अकाउंट में 4 माह तक सैलरी भी डाली। साल 2021 में उन्हें जानकारी लगी कि प्रतीक को दिया गया नियुक्ति फर्जी है। जब उन्होने नीरज नेल्सन बेथे से इस बारे में बातचीत की तब उसने कहा कि वह उनकी शिकायत न करें वो उनसे ली गई रकम वापस कर देगा। लेकिन उसने पैसे वापस नहीं किए। आरोपी नीरज नेल्सन उस समय रायल होम्स सुख सागर फेस-4 करोंद में रहता था। पुलिस ने जॉच के बाद नीरज नेल्शन बैथे व संदीप दास के खिलाफ आपराधिक षड़यंत्र रचने , कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के लिये धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओ में मामला कायम कर पुलिस उनकी सरगर्मी से तलाश कर रही थी। सुरागशी के दौरान पुलिस टीम को खबर मिली कि आरोपी सागर में अपनी रिश्तेदारी में आया है। इसके बाद पुलिस ने गढ़ाकोटा रोड कलारी के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी को लेकर टीम उसके किराए के मकान रायल होम्स करोंद निशातपुरा पर पहुंची जहॉ तलाशी लेने पर एक लैपटॉप, रेलवे अधिकारियों की दो सील बरामद की गई हैं। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी पूर्व में हाइपर सिटी नामक स्टोर पर काम करता था। लेकिन अपनी नौकरी और सैलरी से वह संतुष्ट नहीं था। जल्द पैसा कमाने के लिये उसने हालीबुड की फिल्मों से प्रेरित होकर फिल्मी स्टाइल में बेरोजगारो को रेलवे में नौकरी लगाने के का झांसा देकर ठगी करने का प्लान बनाया। इसके लिये उसने लैपटाप, प्रिंटर खरीदा साथ ही रेल्वे से नियुक्ती संबंधी आदेशों एवं रेल्वे में उपयोग की जाने वाली आईकार्ड के नमूनों को इंटरनेट में तलाश कर आदेश व आई कार्ड का ड्राफ्ट तैयार किया। इसके बाद उसने बेरोजगार लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगना शुरू कर दिया। अधिकारियो ने बताया कि आरोपी ने फर्जी नियुक्ती आदेश व आई कार्ड पर सील लगाकर स्वयं के ही हस्ताक्षर कर लोगों को नियुक्ती पत्र दे दिए।
साथ ही डीआरएम भोपाल की फर्जी सील एवं डब्लयूसीआर की प्रिंटेड टीशर्ट भी मंगाई, और सभी को करोंद भोपाल में किराए का कमरा दिलाकर ठहराया। उनका विश्वास जीतने के लिए टीशर्ट, आई कार्ड देकर उन्हें कई बार रेलवे स्टेशन भोपाल व स्टेशन पर खड़ी ट्रेनों का बिजिट कराया। आरोपी ने सभी लोगों का सैलरी एकाउंट भी बैंको में खुलवाया था। ट्रेनिंग के नाम पर तीन-चार महीने टाल मटोल करता रहा। जब लोगो ने सैलरी के बारे में कहना शुरु किया तब अपना भांडा फूटने से बचने के लिये उसने सभी के एकाउंट में कुछ पैसे जमा करा दिये गये और कहा गया कि ट्रेनिंग के दौरान पूरी सैलरी नहीं मिलती। बाद में नियुक्ती पत्र फर्जी होने की जानकारी लगने पर ठग उन सभी को रकम लौटाने का वादा कर फरार होकर कोटा चला गया। पुलिस ने मास्टरमांइउ के सहयोगी संदीप दास को पकड़ा, पुलिस रिमांड में उससे फरार आरोपी नीरज नेल्शन वेथे की जानकारी मिली। जिसके आधार पर फरार आरोपी नीरज नेल्सन बैथे को सागर गढाकोटा रोड से दबोच लिया गया। अफसरो के अनुसार आरोपियों ने 15 लोगो के साथ ठगी की हैं। जिनमें इंदौर निवासी राहुल, आतिश, प्रदीप, प्रतीक, अंजली, शिल्पी, प्रतीश, आनंद, आशीष, बैतूल निवासी महेश, खंडवा निवासी आशुतोष के नाम शामिल है।