शशिकला का तमिलनाडु की राजनीति में वापसी करना बहुत मुश्किल है

तमिलनाडु की राजनीति में एक ऐसा राजनीतिक परिवर्तन हो सकता है जिससे तमिलनाडु में भाजपा और AIADMK के विपक्षी गठबंधन को नुकसान हो सकता है। जयललिता की खास रहीं और भ्रष्टाचार के आरोप में जेल काट चुकी शशिकला ने संकेत दिए हैं कि वह राजनीति में पुनः वापसी कर सकती हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शशिकला ने अपने पार्टी नेता से बात करते हुए अपनी वापसी का भरोसा दिलाया है।

वायरल ऑडियो में शशिकला फोन पर अपनी पार्टी के नेता से कह रही है कि “चिंता मत करो, निश्चित रूप से पार्टी की चीजें ठीक हो जाएंगी। सब बहादुर बनो। एक बार कोरोना महामारी खत्म हो जाए, मैं वापसी करूंगी।” जवाब में पार्टी नेता ने कहते हैं, “हम आपके पीछे रहेंगे अम्मा।” वायरल फोन कॉल की पुष्टि एएमएमके महासचिव टीटीवी दिनाकरन के निजी सहायक जनार्थन ने की है। 

जयललिता की मृत्यु के बाद पार्टी में उनके उत्तराधिकारी को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी। शशिकला को ही जयललिता का उत्तराधिकारी माना जा रहा था, क्योंकि उन्होंने लम्बें समय तक जयललिता का साथ दिया था। 1996 में जयललिता की गिरफ्तारी के वक्त शशिकला भी उनके साथ गिरफ्तार हुई थीं।

शशिकला का नाम जयललिता के साथ इस कदर जुड़ा था कि लोग जयललिता को अम्मा और शशिकला को चिनम्मा कहते थे। शशिकला भी इसे लेकर आश्वस्त थीं कि वह ही जयललिता की उत्तराधिकारी बनेंगी, लेकिन फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भ्रष्टाचार के एक मामले में शशिकला को जेल हो गई। जिसके बाद सितंबर 2017 में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। शशिकला ने इसके बाद अपनी पार्टी बना ली थी।

शशिकला 2021 में जेल से बाहर आईं थीं जिसके बाद उनकी राजनीति में वापसी की चर्चा, तमिलनाडु चुनाव के ठीक पहले ही शुरू हो गई थी, लेकिन उन्होंने अचानक यह ऐलान कर दिया कि वह राजनीति में नहीं उतरेंगी। इस एलान के बाद भाजपा और AIADMK ने राहत की सांस ली थी।

हालांकि. अब शशिकला के लिए वापसी आसान भी नहीं होगी. क्योंकि उनके चार साल के कारावास में AIADMK ने अपने संगठन को काफी सुदृढ़ कर लिया है। चार वर्ष पूर्व उनके लिए पार्टी तोड़ना आसान था, लेकिन अब ऐसा होना बहुत मुश्किल है। इसका सबसे बड़ा कारण शशिकला पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप हैं। भ्रष्टाचार के दीमक ने बहुत लंबे समय तक तमिलनाडु के संसाधनों को खोखला किया। उस समय दोनों मुख्य दल खुलेआम भ्रष्टाचार करते थे, लेकिन आज यह संभव नहीं है। इसका एक महत्वपूर्ण कारण है कि भाजपा राज्य में अपना विस्तार करना चाहती है और स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त छवि ही उसका मुख्य मुद्दा है। साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार लगातार केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके भ्रष्टाचारी नेताओं पर नकेल कसे हुए है। ऐसे में कोई नेता नहीं चाहेगा कि वह शशिकला के साथ जुड़े, जो पहले से भ्रष्टाचार के मामले में सजा काट चुकी हैं।

अब अगर शशिकला वापस आती हैं तो इससे AIADMK को विशेष नुकसान होगा। शशिकला का अपना व्यापक जनाधार रहा है। यह भी सत्य है कि वह जयललिता के सबसे नजदीक रही थी, लेकिन उनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और उनकी वापसी से तमिलनाडु की राजनीति में वही वापस आ जाएगा जब DMK और AIADMK एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते थे और खुलकर भ्रष्टाचार भी करते थे।

भ्रष्टाचार तमिलनाडु की राजनीति का पर्याय बन गया था। जब AIADMK सत्ता में आती तो करुणानिधि जेल में जाते और जब DMK सत्ता में आती तो जयललिता पर कार्रवाई होती। भ्रष्टाचार के कारण ही व्यापक समुद्र तट और चेन्नई जैसा शहर होने के बाद भी तमिलनाडु गुजरात की तरह कोई बड़ा व्यापारिक केंद्र नहीं बन सका है।