हिमाचल विधानसभा चुनाव परिणाम से पहले बढ़ी निर्दलियों की अहमियत

जीत की संभावना वाले दमदार निर्दलीयों को साधने में जुटे भाजपा और कांग्रेस

शिमला (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की मतगणना का काउंटडाउन शुरू हो गया है। 08 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होगा। भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त हैं। दोनों दलों को भरोसा है कि वे अपने बल पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे, हालांकि संख्या कुछ कम होने की संभावना को देखते हुए दोनों दलों में इसे पूरा करने की भी कवायद पूरी कर दी गई है। ऐसे में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले कुछ नेताओं की अहमियत भी बढ़ गई है। जिन निर्दलीयों के जीतने की संभावना अधिक बताई जा रही है, उन्हें साधने के लिए सत्ता के दावेदार दोनों दल अपने दूतों के जरिये संपर्क साध रहे हैं। कोशिश यह है कि सरकार बनाने के लिए अगर जरूरी संख्या में कुछ कमी रही तो निर्दलीय विधायकों से इसे पूरा किया जाएगा।

दरअसल इस बार विस चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीयों ने ताल ठोकी है। विस की 68 सीटों पर किस्तम आज़म रहे 412 उम्मीदवारों में 99 निर्दलीय हैं। दोनों दलों से टिकट न मिलने पर लगभग 30 नेताओं ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा है। भाजपा के करीब 21 और कांग्रेस के 9 बागी चुनाव मैदान में हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ रहे भाजपा के दमदार बागियों में बंजार से पूर्व सांसद व विधायक महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर, आनी से विधायक किशोरी लाल सागर, देहरा से विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से पूर्व विधायक केएल ठाकुर, इंदौरा से पूर्व विधायक मनोहर धीमान, किन्नौर से पूर्व विधायक तेजवंत नेगी, फतेहपुर से पूर्व सांसद कृपाल परमार, सुंदरनगर से पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर के बेटे अभिषेक ठाकुर, बिलासपुर से सुभाष शर्मा, मंडी से प्रवीण शर्मा और कुल्लू से राम सिंह, धर्मशाला से विपिन नैहरिया, बड़सर से संजीव शर्मा और चंबा से इंदिरा कपूर शामिल हैं।

कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों में पच्छाद से विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, चोैपाल और सुलह से दो पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट और जगजीवन पाल, ठियोग से विजय पाल खाची, आनी से परस राम, जयसिंहपुर से सुशील कौल, अर्की से राजेंद्र ठाकुर, हमीरपुर से आशीष शर्मा पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं।

इस बार विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इससे स्पष्ट है कि बहुत सी सीटों पर जीत-हार का अंतर काफी कम होगा। ऐसे में किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी और किसकी सरकार बनेगी, इसे लेकर स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है। 2017 के विस चुनाव में 18 सीटों पर हार-जीत का अंतर दो हजार से कम था।

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