हैदराबाद दहलाने की थी साजिश : बम धमाकों की तैयारी कर रहे थे आतंकी, पुलिस ने वक्त रहते किया गिरफ्तार

देश की आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देने वाली एक बड़ी साजिश को समय रहते नाकाम किया गया है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पुलिस ने एक संयुक्त ऑपरेशन में दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है, जो हैदराबाद में बम धमाका करने की तैयारी में जुटे थे। जांच में सामने आया है कि आरोपी धमाके से पहले विस्फोटकों का परीक्षण कर रहे थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी विनाशक क्षमता कितनी है।

गिरफ्तार किए गए दोनों युवकों के नाम समीर और सिराज उर रहमान हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इनके ISIS जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन से जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है। यह मामला केवल स्थानीय कानून-व्यवस्था का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला बन चुका है। समीर, जिसकी उम्र 27 वर्ष है, हैदराबाद के भोईगुड़ा इलाके का निवासी है और पेशे से लिफ्ट मरम्मत का काम करता है। वहीं सिराज उर रहमान, एक ग्रेजुएट और वर्तमान में बेरोज़गार युवक है, जो आंध्र प्रदेश के विजयनगरम का रहने वाला है। 

सनसनीखेज खुलासों से मचा हड़कंप

जैसे-जैसे पूछताछ आगे बढ़ रही है, हैदराबाद को दहलाने की इस साजिश से जुड़े चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। पुलिस का दावा है कि इस साजिश की पूरी योजना सिराज उर रहमान ने रची थी, जबकि समीर ने उसके इरादों को ज़मीन पर उतारने में मदद की। यह सिर्फ दो नाम नहीं हैं ये उस मानसिकता का प्रतीक हैं, जो अपने ही देश को भीतर से तोड़ने का ख्वाब देखती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिराज ने हाल ही में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से बम बनाने का सामान मंगवाया, जिसे वह चुपचाप अपने घर में इकट्ठा कर रहा था। इन दोनों की योजना थी कि वे विजयनगरम के बाहरी इलाके में धमाके की एक ट्रायल कार्रवाई करें, ताकि असली हमले से पहले यह परखा जा सके कि विस्फोटक प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं या नहीं।

इस साजिश की भनक जैसे ही तेलंगाना पुलिस को लगी, उन्होंने बिना देर किए ऑपरेशन शुरू किया और दो दिन पहले समीर और सिराज दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि वे देश में एक बड़ा आतंकी हमला करने की तैयारी में थे, लेकिन उन्होंने अभी तक हमले की तारीख और स्थान को अंतिम रूप नहीं दिया था। जांच में यह भी सामने आया है कि इन दोनों का संपर्क सऊदी अरब में मौजूद एक संदिग्ध व्यक्ति से था, जिससे ये अक्सर संवाद करते थे। जब अधिकारियों से पूछा गया कि क्या इनका किसी स्थापित आतंकी संगठन से संबंध है, तो जवाब मिला कि ये युवक किसी संगठन से जुड़े नहीं थे, बल्कि स्वयं-प्रेरित कट्टरपंथी (self-radicalised) बन चुके थे। यानी इंटरनेट, सोशल मीडिया और वैचारिक जहरीले प्रचार के ज़रिए उन्होंने आतंकी सोच अपना ली थी और देश के भीतर हिंसा फैलाने की ठान ली थी।

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