
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए 5 अगस्त का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी दिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाया गया था। इतना ही नहीं, सनातनियों की चिर प्रतिक्षित मांग और बीजेपी अपना वादा राम मंदिर का शिलान्यास भी आज ही के दिन किया गया था। अब फिर से पांच अगस्त आ रहा है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के भी छह साल पूरे होने जा रहे हैं। इसको लेकर पहले से ही कयास लगाये जाने लगे हैं।
क्या हो सकता है फैसला, जानें
राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर अंदरखाने यह चर्चा तेजी से चल रही है कि पांच अगस्त को केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार फिर से कोई बड़ा फैसला कर सकती है। इसमें जम्मू और कश्मीर को अलग-अलग बांट कर राज्य बनाना या फिर पूर्ण राज्य का दर्जा देना, दोनों प्रकार की अटकलों का दौर तेज है। इसको लेकर जम्मू-कश्मीर में हलचल तेज हो गई है। सेना के अधिकारी भी इसको लेकर संजीदा हैं। अब सरकार क्या फैसला करती है, यह तो कल पता चल ही जाएगा।
आतंक में आई भारी कमी
इधर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने धारा 370 को लेकर फिर से बयानबाजी शुरू कर दी है। उनकी बातों ने भी अटकलों को हवा दे दी है। हालांकि, धारा 370 हटने के बाद वहां पर आतंकवाद में अब तक काफी कमी आ चुकी है। लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार देखा जा रहा है। विकास के कार्यों में भी काफी तेजी आ गई है। केंद्र सरकार की कई योजनाएं तो जम्मू-कश्मीर के लोगों तक पहुंच ही नहीं पाती थीं। लेकिन, अब ऐसी स्थिति नहीं है। लोग सरकारी स्कीमों का लाभ भी आसानी से उठा पा रहे हैं। ऐसे में हो सकता है कि सरकार इस दिन कुछ और घोषणा कर दे।
क्या कहा महबूबा मुफ्ती ने, जानें
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीना गया था, तब यह दावा किया गया था कि राज्य के हालात बेहतर होंगे और आतंकवाद खत्म होगा। मुफ्ती ने आरोप लगाया कि सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की आक्रामक नीतियों ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को और भी खराब कर दिया है और अब यहां लगातार गिरफ्तारियां हो रही हैं। मुफ्ती ने सवाल उठाया कि केंद्र ने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाते समय कहा था कि आतंकवाद खत्म होगा और विकास आएगा, लेकिन न तो हालात सुधरे और न ही आंतरिक शांति आई। उन्होंने कहा,”पिछले 6 सालों से जम्मू-कश्मीर में हर दिन गिरफ्तारियां हो रही हैं और लोग डर के साये में जी रहे हैं. लोग चुप हैं लेकिन हालात बदतर हो चुके हैं।”
बीजेपी की नीति और पाकिस्तान से तुलना
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी की नीति ने देश में ऐसा माहौल बना दिया है कि अब सभी समूह संघर्ष की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा,”देश आज पाकिस्तान से टकराव की स्थिति में पहुंच गया है, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था हमारी दसवीं हिस्से के बराबर भी नहीं है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर हालात इतने बेहतर हो गए हैं तो अब भी घाटी में इतनी सख्ती क्यों है।
‘न निवेश आया और न ही राजनीतिक स्थिरता’
महबूबा मुफ्ती के मुताबिक अनुच्छेद 370 को हटाने से न तो जम्मू-कश्मीर में कोई खास निवेश आया है और न ही राजनीतिक स्थिरता स्थापित हुई है। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने स्थानीय जनता का भरोसा केंद्र से और भी कम कर दिया है। वह मानती हैं कि बीजेपी की आक्रामक नीति ने देश को आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चों पर उलझा दिया है।
बोले पूर्व सैन्य अधिकारी
भारतीय सेना के पूर्व सैन्य अधिकारी जनरल केजेएस ढिल्लों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि कल पांच अगस्त को क्या होगा, इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। जम्मू-कश्मीर में शांति सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों के जीवन की बड़ी कीमत पर आई है। यह अभी भी नाजुक है, जैसा कि पहलगाम हमले से स्पष्ट है। इस शांति यात्रा में जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है और उन लोगों के लिए भी जिनके जीवन पर इसका प्रभाव पड़ेगा, हमें जल्दबाजी में कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। चूकि शांति बहाली के लिए समेकन का दौर चल रहा है। पूरा शांत हो जाने दीजिए, कोई जल्दबाजी नहीं करें।
एक पत्रकार ने क्या कहा, जानें
जम्मू-कश्मीर विवाद को लेकर मुखर होकर बात करने वाली एक पत्रकार ने भी बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने अपने एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि जम्मू-कश्मीर में ज़ोरदार अफ़वाहें फैल रही हैं कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की छठी वर्षगांठ पर, यानी कल, इस केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा दे सकती है। इससे भी ज़्यादा अजीब बात यह है कि अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं कि कश्मीर और जम्मू को अलग करके दो अलग-अलग राज्यों में पुनर्गठित किया जाएगा। अगर इनमें से कोई भी बात सच है, तो इससे ज़्यादा विनाशकारी कुछ नहीं हो सकता। यह डिक्सन योजना को ही पूरा करेगा—जम्मू-कश्मीर का धार्मिक आधार पर विभाजन—और इस मुस्लिम-बहुल क्षेत्र को प्रभावी रूप से पाकिस्तान को सौंप देगा। भारत की सीमाओं से लगा कोई भी मुस्लिम-बहुल क्षेत्र पाकिस्तानी सेना और उसके जिहादी सैनिकों और आतंकवादियों से अछूता नहीं रह सकता।
उन्होंने आगे लिखा है कि अगर तर्क यह है कि हिंदू-बहुल क्षेत्र जम्मू, अपने जनसांख्यिकीय प्रभुत्व के बावजूद सत्ता का आनंद नहीं ले पाया है और मुस्लिम-बहुल कश्मीरी नेतृत्व लगातार उसके साथ भेदभाव करता रहा है, तो यह स्पष्ट है कि इकबाल, जिन्ना और अब जनरल आसिम मुनीर का द्वि-राष्ट्र सिद्धांत जम्मू-कश्मीर के अलावा भारत में कहीं भी सफल नहीं हुआ है। लेकिन अगर वे आज जम्मू-कश्मीर में कामयाब हो जाते हैं, तो कल शेष भारत में भी कामयाब होंगे, अगर कल नहीं, तो परसों, या सालों बाद। उन्होंने लिखा है कि भारत की स्थापना बहुलवाद, समानता और सभी के लिए स्वतंत्रता के अपने प्राचीन दर्शन पर हुई थी। जम्मू-कश्मीर का धार्मिक आधार पर कोई भी विभाजन भारत को एक विचारधारा के रूप में नष्ट कर देगा। यह एक दुखद आपदा से कम नहीं होगा। लेकिन ये अफवाहें क्यों फैलाई जा रही हैं?