
बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले में एक हिंदू महिला के साथ गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. मोहम्मद यूनुस की सरकार पर पहले ही मानवाधिकार हनन के आरोप लगते रहे हैं और अब ये मामला उनकी नीतियों की असलियत उजागर कर रहा है. घटना के बाद जनता में भारी आक्रोश है, और सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने पुलिस प्रशासन को मजबूर किया कि वह कार्रवाई में तेजी लाए.
मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू महिलाओं, छोटी बच्चियों और दिव्यांग युवतियों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले खतरनाक रफ्तार से बढ़ रहे हैं. जून महीने में जो आंकड़े सामने आए हैं, वो डराने वाले हैं और ये साफ इशारा करते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा बांग्लादेश सरकार की प्राथमिकता में नहीं है.
जून में महिलाओं पर हिंसा के 363 मामले
मानवाधिकार संगठन एमएसएफ (MSF) की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में बांग्लादेश में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा के 363 केस दर्ज हुए. औसतन हर दिन 12 महिलाएं किसी न किसी प्रकार की हिंसा की शिकार बनी. इन मामलों में रेप की 67 घटनाएं थीं, जिनमें 17 सामूहिक बलात्कार और 4 हत्याएं भी शामिल हैं.
हिंदू महिलाओं को बनाया जा रहा टारगेट
रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट है कि अल्पसंख्यक हिंदू महिलाओं को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है. जून माह में दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों में 2 केस हिंदू महिलाओं के थे, जिनमें एक घटना मुरादनगर की है, जिसने पूरे बांग्लादेश को हिला दिया. वीडियो सामने आने तक पुलिस निष्क्रिय थी, लेकिन सोशल मीडिया के दबाव में गिरफ्तारियां करनी पड़ीं. मुख्य आरोपी सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन जनता सवाल पूछ रही है क्या इससे बाकी मामलों में इंसाफ मिलेगा?
दिव्यांग और नाबालिग भी नहीं सुरक्षित
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि रेप पीड़िताओं में दिव्यांग और नाबालिग लड़कियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. MSF के अनुसार, जून में 7 दिव्यांग लड़कियों और 19 नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं दर्ज हुईं. इसके अलावा 23 किशोरियों ने यौन हिंसा की शिकायत दर्ज कराई. यह आंकड़े सिर्फ वे हैं जो दर्ज हुए, जबकि ग्राउंड रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई घटनाएं तो रिपोर्ट तक नहीं हो पातीं क्योंकि पुलिस और प्रशासन इन्हें दबाने की कोशिश करते हैं.
सरकार छुपा रही है आंकड़े
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुद एक बार कहा था कि देश में जितनी घटनाएं होती हैं, उसका 1% भी सरकार दर्ज नहीं कर पाती. वर्तमान यूनुस सरकार पर आरोप है कि वह न केवल मामलों को नजरअंदाज कर रही है, बल्कि आंकड़ों को छुपाने का काम भी कर रही है. मार्च 2025 में बांग्लादेश पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते 10 वर्षों में 5600 से अधिक छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं दर्ज हुई हैं.
यूनुस सरकार की चुप्पी पर बढ़ता आक्रोश
कुमिल्ला केस के बाद यूनुस सरकार की चुप्पी ने जनता में गुस्से की लहर पैदा कर दी है. विपक्षी दलों से लेकर सामाजिक संगठनों तक सभी एक सुर में मांग कर रहे हैं कि अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर तुरंत रोक लगे और दोषियों को कठोर सज़ा दी जाए.
आखिर कब मिलेगा इंसाफ?
बांग्लादेश में महिलाओं, खासकर हिंदू समुदाय, दिव्यांग और नाबालिग बच्चियों के लिए हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं. जब तक सरकार सख्ती से कार्रवाई नहीं करती और अपराधियों को संरक्षण देने की नीति से पीछे नहीं हटती, तब तक हालात में बदलाव संभव नहीं. सवाल यह है कि क्या यूनुस सरकार इन मासूमों की चीखें सुन पाएगी या फिर आंकड़ों की राजनीति में सब कुछ दबा दिया जाएगा?