भारत को अप्रैल तक मिलेंगे 16 और राफेल विमान, चीन-पाकिस्तान में मची खलबली

भारत हर रोज़ अपनी बढ़ती ताकत का नमूना दुनिया के सामने पेश करता रहता है. कभी तो अपनी स्वदेशी तकनीक और हथिरयारों का टेस्ट कर अपने दुश्मनो की पतलून गीली कर देता है. तो कभी अपने दूसरे शक्तिशाली मित्रों से कोई न कोई बड़ा समझौता कर अपने दुश्मनों को भौचक्का छोड़ देता है. जिसका सबसे ताज़ा उदहारण था BECA. जिसके तहत भारत ने अपने मित्र देश अमेरिका के साथ मिलकर अपनी ताकत को और बढ़ा लिया है. तो वहीं फ्रांस के साथ भी भारत की एक डील थी. जिसमें भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान ख़रीदे थे. अब मिली खबर के अनुसार राफेल की अगली किश्तें भी भारत आने वाली है.

आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना की ताकत में अगले साल यानी अप्रैल 2021 तक और भी तगड़ा इजाफा होने वाला है. एक ओर जहां इस साल पांच राफेल आने के बाद वायुसेना पहले से और ज्यादा मजबूत हो चुकी है. वहीं एक हफ्ते के भीतर 3 और राफेल हरियाणा स्थित अंबाला एयर स्टेशन पर लैंड कर जाएंगे. इतना ही नहीं अगले साल 2021 के अप्रैल तक भारत के पास कुल 16 राफेल हो जाएंगे. इस साल 29 जुलाई को देश को पांच राफेल मिले. वायुसेना ने 59 हजार करोड़ रुपये में फ्रांस से 36 राफेल का सौदा किया है.

अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक नवंबर के बाद तीन जनवरी में फिर मार्च में तीन और अप्रैल में 7 राफेल लड़ाकू विमान भारत को मिल जाएंगे. ऐसे में अगले साल अप्रैल तक गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में18 लड़ाकू विमान शामिल हो जाएंगे. वहीँ बाकी के तीन लड़ाकू विमानों को चीन का मुकाबला करने के लिए उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार में स्थित हाशिमारा एयरबेस पर भेजा जा सकता है.

बहुत से लोगों ने सवाल किये कि आखिर राफेल में ऐसा क्या ख़ास है? जिससे भारत के दुसमन देश थर-थर कांप रहे हैं. बता दें, कि सभी लड़ाकू विमान स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइलों के साथ माइका और मेटर एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस हैं.

वहीं भारत ने सफरान से 250 किलोग्राम वारहेड के साथ एयर-टू-ग्राउंड मॉड्यूलर हथियार- हैमर के लिए अनुरोध किया है. मिली रिपोर्ट के हिसाब से अधिकारियों से कहा गया है, कि फ्रांस भारत में अधिक राफेल लड़ाकू विमानों की पेशकश करने के लिए तैयार है.

भारतीय वायुसेना IAF ने 83 LCA मार्क IA जेट्स खरीदने की योजना बनाई है. जिससे तेजस वेरिएंट्स की कुल संख्या 123 तक हो जाएगी. सफरान के बारे में कहा जा रहा है कि वह बिना किसी तीसरे-देश के स्पेयर पार्ट्स के इंजन की पेशकश करने को तैयार है. ताकि बाकि के अप्रूवल की जरूरत ना हो और 100% स्वदेशी रहे.

तो वहीं इस गुरुवार 29 अक्टूबर को पेरिस में विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला की फ्रांस, यूके और जर्मनी यात्रा के दौरान यह फ्रांसीसी प्रस्ताव चर्चा में शामिल हो सकता है. एक ओर जहां DRDO अपने लड़ाकू इंजन डेवलपमेंट वर्क्स करता रहेगा वहीं सफरान इंजन डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग के बीच की कमी को पूरा कर देगा.

केवल अमेरिका, रूस और फ्रांस के पास ही लड़ाकू जेट इंजन का उत्पादन करने की क्षमता हैं. चीन अभी भी अपने जेट लड़ाकू विमानों जैसे कि जे -31 और जेएफ -17  के लिए रूसी आरडी -93 और आरडी -33 इंजन का उपयोग कर रहा है.

इन हथियारों से लैस हैं राफेल
सभी लड़ाकू विमान स्कैल्प एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइलों के साथ माइका और मेटर एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस हैं. वहीं भारत ने सफरान से 250 किलोग्राम वारहेड के साथ एयर-टू-ग्राउंड मॉड्यूलर हथियार- हैमर के लिए अनुरोध किया है.
रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि फ्रांस भारत में अधिक राफेल लड़ाकू विमानों की पेशकश करने के लिए तैयार है, वहीं सफरान का भारत में स्नेक एम 88 इंजन बनाने का प्रस्ताव अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने के चार साल पहले से है