बॉर्डर पर तनाव के बीच DRDO ने बनाई नई लैब, चीन-पाकिस्तान सीमा पर तैनात सशस्त्र बल होंगे मजबूत

जहां एक तरफ चीन के साथ लद्दाख सीमा पर गतिरोध जारी है. वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर की सीमा से पकिस्तान लगातार घुसपैठ की फ़िराक में रहता है. लेकिन कहीं न कहीं अब चीन और पाक दोनों ही ये समझ गए हैं कि भारत उनके नापाक मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने देगा. तो वहीं इसी क्रम में भारत आये दिन अपनी सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रहा है. कभी घातक और अत्यधुनिक बैलेस्टिक मिसाइलों का सफल परिक्षण कर रहा है. तो कभी हाईटेक ड्रोन्स की सीमा पर तैनाती कर रहा है. तो वहीं भारत ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. बता दें बॉर्डर पर तनाव के बीच केंद्र सरकार ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) की दो प्रयोगशालाओं को मिलाकर एक नई लैब बनाई है. ये नई प्रयोगशाला चीन और पाकिस्तान की सीमा वाले इलाकों और बर्फीले तूफान पर रिसर्च में खास फोकस करेगी. सरकारी सूत्रों के हवाले से पता चला है कि डीआरडीओ ने दो प्रयोगशालाओं को मिलाकर ‘डिफेंस जियो इंफॉर्मेटिक्स रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट’ नाम से एक नई लेबोरेट्री बनाई है.

जानकारी के मुताबिक नई लैब लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ लगी सीमा और हिमस्खलन पर रिसर्च में ध्यान केंद्रित करेगी. सरकार की ओर से बनाई गई नई लैब में जिन दो प्रयोगशालाओं का विलय किया गया वो हैं- मनाली मुख्यालय का बर्फ और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान यानि (SASE ) और दूसरा दिल्ली का रक्षा भूभाग अनुसंधान प्रयोगशाला. आपको बता दें इन दोनों प्रयोगशालाओं का विलय कर एक नया लैब बनाना डीआरडीओ में बड़े पैमाने पर होने वाले सुधारों की दिशा में पहला बड़ा कदम माना जा रहा है

डीआरडीओ के प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा है कि इन लैब को और ज्यादा रिजल्ट ओरिएंटेड बनाया जाएगा. SASE बेहद सक्रिय रूप से परिचालन क्षेत्रों में बर्फ और हिमस्खलन के अध्ययन में लगा था और देश के अलग-अलग हिस्सों में लगभग 3,000 ऑन-रोड जगहों पर एक हिमस्खलन एटलस तैयार किया है, जहां सशस्त्र बल तैनात हैं. इसी तरह रक्षा भूभाग अनुसंधान प्रयोगशाला (डीटीआरएल) देश के अलग-अलग भूभागों पर रिसर्च करती रही है, जहां सशस्त्र बलों की तैनाती है.

सूत्रों ने कहा कि नई लैब चीन की सीमा से अलग-अलग इलाकों जैसे अरुणाचल प्रदेश में अपनी टीम तैनात करेगी और वहां तैनात सशस्त्र बलों के साथ मिल कर काम करेगी. दोनों लैब का विलय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने मंत्रिस्तरीय सहयोगियों, डीआरडीओ के अध्यक्ष और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ एक बैठक के तुरंत बाद किया गया. तो वहीं इस बीच डीआरडीओ के प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी का कार्यकाल भी सरकार की ओर से बढ़ा दिया गया है और उन्हें प्रमुख डिफेंस रिसर्च एजेंसी में जरूरी सुधार लाने की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है.

डीआरडीओ प्रमुख ने हाल ही में आईआईटी दिल्ली, निदेशक पी. रामगोपाल राव के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया, जो भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए सशस्त्र बलों को तैयार करने के लिए प्रयोगशालाओं के ड्यूटी चार्टर की समीक्षा करे. चयनित पैनल संगठन के तहत प्रत्येक प्रयोगशाला की ओर से किए जा रहे कामों की प्रकृति में गहराई लाने और प्रौद्योगिकी ओवरलैप को कम करने और किए जाने वाले काम के चार्टर को फिर से परिभाषित करने के लिए एक रिपोर्ट पेश करेगा