
भास्कर ब्यूरो वाराणसी। विश्व कल्याण हेतु आयोजित मास दिवसीय गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ के 16वें दिन बुधवार को अनन्त विभूषित पूज्यपाद लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी महाराज जगत शिष्य वेद मंदिर तारानगर कालोनी छितूपूर, लंका में पधारे। इस अवसर पर जीयर स्वामी महाराज ने गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गायत्री मंत्र सनातन एवं अनादि मंत्र है। गायत्री महामंत्र के 24 अक्षर 24 अत्यंत ही महत्वपूर्ण शिक्षाओं के प्रतीक हैं। वेद, पुराण, स्मृति, उपनिषद आदि में जो शिक्षाएँ मनुष्य जाति को दी गई हैं, उन सबका सार इन 24 अक्षरों में मौजूद है। इन्हें अपनाकर मनुष्य व्यक्तिगत तथा सामाजिक सुख शांति को पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकता है। जिसने गायत्री के छिपे हुए रहस्यों को जान लिया, उसके लिए और कुछ जानना शेष नहीं रहता। स्वामी महाराज ने कहा कि गायत्री मंत्र अपने आप में सर्वशक्तिमान मंत्र है।
इसके जाप से यश, कीर्ति, वैभव की प्राप्ति होती है साथ ही सभी बाधाएं दूर होती है। गायत्री माता की पूजा और उसके जाप से तेज बढ़ता है और तेज से ही मानव सबकुछ प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि मानव को अगर अपना कल्याण करना है तो उसे गाय, गायत्री व गीता को अपनाना होगा तभी उसका कल्याण होगा।
विशिष्ट अतिथि पीएमओ कार्यालय वाराणसी के प्रभारी शिव शरण पाठक थे। वैदिक एजुकेशनल रिसर्च सोसाएटी के संस्थाक अध्यक्ष पं. शिवपूजन चतुवेर्दी ने जीएस स्वामी का वेदमंत्रा के बीच स्वागत किया। इस अवसर पर पं. शिवपूजन चतुर्वेदी ने कहा कि विश्व में शांति और भारत को शक्तिशाली बनाने की कामना को लेकर यह यज्ञ हो रहा है। इसमें स्वामी महाराज का आशीर्वाद मिल जाने से इस यज्ञ को सफल होना सुनिश्चित हो गया है। इस अवसर पर समाजसेवी रामयश मिश्र, इन्द्र भूषण तिवारी, हरेराम उपाध्याय, डॉ. दिनेश उपाध्याय, शिव मूरत उपाध्याय अरविन्द कुमार पाण्डेय सहित काफी संख्या में भक्त उपस्थित थे।