भास्कर ब्यूरो
भोगांव/मैनपुरी। समाज सेवी डॉ० अयाज मंसूरी के मुताबिक रमजान के महीने मंे जन्नत के दरवाजे खुल जाते हंै और रोजा रखने से बीमारियाँ भी दूर होती हैं। उन्होने कहा कि सभी धर्मों में अनेक मजहबी रस्में होती हैं। जिसको वैज्ञानिक भी मानते हैं लेकिन धर्म से जुड़े होने के कारण लोग मजहबी रस्मों रिवाज पर ईमानदारी से अमल करते हैं। उन्होने कहा कि मजहबी रस्मों रिवाज की रचना मौसम, जलवायु, सेहत और मनोविज्ञान को ध्यान मंे रख कर तैयार की गई हैं। रमजान का पवित्र माह भी इनमंे से एक है।
डॉ० अयाज मंसूरी ने बताया इंग्लैंड और जर्मनी में हुऐ शोधों से साबित हुआ कि रोजा रखने से जिस्मानी खिंचाव होता है। जिससे शरीर की कमजोर कोशिकाएँ स्वतः उर्जा में बदल कर नष्ट हो जाती है। अवसाद और वजू से आँख, नाक, कान की बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है। माहे रमजान में एक नेकी के बदले सत्तर गुना सबाब मिलता है। अल्लाह रोजेदारों की दुआ कुबूल करता है और जन्नत के दरवाजे खोल देता है। रोजा रखने का निहितार्थ ही बुराई से परे रहना है। इस दौरान खास ख्याल रखना पड़ता है कि जेहन बुराई की तरफ आकर्षित ना हो। मंसूरी ने लोगों से निवेदन किया है कि कोविड 19 महामारी को ध्यान में रख कर ही घर से बाहर न निकलें तथा मास्क का अनिवार्य रूप से प्रयोग करें।