नेपाल की बाढ़ से यूपी के 6 जिलों में हाहाकार, दर्जनों गांवों पर मंडरा रहा है खतरा

नेपाल में लगातार बारिश के चलते नदियां उफनाई हुई हैं। नेपाल के तकरीबन 30 जिले बाढ़ में डूबे हुए हैं, जबकि नेपाली नदियों में बाढ़ का असर अब नेपाल से सटे यूपी के इलाकों में भी दिखाई देने लगा है। यूपी के 6 जिलों में बाढ़ से लगभग 1 लाख की आबादी प्रभावित है। बाढ़ का असर सबसे ज्यादा यूपी के महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच में है। इन जिलों में हजारों एकड़ फसल डूब गई है। गांव के लोग अब घरों को छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। पूर्वांचल की 6 नदियां उफान पर हैं।

कुशीनगर: एक दर्जन से ज्यादा गांव डूबे, 35 हजार की आबादी प्रभावित

गोरखपुर से लगभग 80 किमी दूर सटा हुआ जिला कुशीनगर है। नेपाल बॉर्डर से भी इसकी दूरी महज 30 किमी के आसपास है। जिले में नेपाल की नदी गंडक बहती है जोकि बड़ी गंडक और छोटी गंडक के नाम से जानी जाती है। नेपाल में लगातार बारिश के चलते दोनों नदिया उफान पर हैं। कुशीनगर में इसका तांडव शुरू हो गया है।

गंडक नदी किनारे बसे लगभग एक दर्जन गांव शिवपुर, मरचहवा, हरिहरपुर, नरायनपुर, बसन्तपुर, विन्धाचलपुर, शाहपुर, महदेवा और सालिकपुर सहित लगभग एक दर्जन से ज्यादा गांवों को बड़ी गंडक नदी ने डुबा दिया है। यहां रहने वाली तकरीबन 35 हजार की आबादी प्रभावित हो गयी है।

घरों में पानी घुस गया है। चारे की किल्लत से पशु बेहाल हैं। ग्रामीण खुद भूख प्यास से बेहाल हैं। लोग बेबस होकर अपने खेतों में खड़े केला, गन्ने आदि के खेतों को नदी द्वारा कटान कर अपनी धार में विलीन होते देख रहे हैं। उफनाई नदी ने खड्डा तहसील के 50 से ज्यादा किसानों के 200 एकड़ से अधिक फसलों को काटकर नदी की तेज धारा में मिला लिया है।

गोरखपुर: रोहिणी और राप्ती उफनाई, दर्जनों गांवों पर मंडरा रहा है खतरा

नेपाल से बारिश का पानी छोड़ने की वजह से राप्ती और रोहिणी उफान पर है। इन नदियों के किनारे बसे लगभग एक दर्जन गांव नदियों में बढ़े पानी से डरे हुए हैं। राप्ती किनारे शमशान के प्लेटफार्म डूब गए हैं। पिछले दो से तीन दिनों में रोहिणी नदी का जल स्तर बढ़ गया है। बड़हलगंज क्षेत्र के जगदीशपुर गांव मे राप्ती नदी की कटान तेज होने से 1 दर्जन घर कटान की जद में हैं। कटान होने से ग्रामीणों में दहशत है। कटान को देखते हुए नदी के समीपवर्ती स्थित मकानों को ग्रामीण तेजी से तोड़ कर अपने सामानों को सहेजने में लगे हुए हैं। राप्ती नदी की कटान से जगदीशपुर गांव में 1 दर्जन घर नदी मे विलीन होने के कगार पर हैं। नदी तेजी से गांव को काट रही है।

राप्ती नदी ने जगदीशपुर 100 मीटर की लंबाई कटान की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते बचाव का प्रबंध करा दिया होता तो आज यह नौबत नहीं आती। कटान पीडितों का कहना है कि शासन प्रशासन की नीतियों के चलते ही आज उन्हें अपने ही हाथो आशियाना उजाड़ना पड़ रहा है।

बलरामपुर: तराई क्षेत्र में बढ़ रहा बाढ़ का खतरा, कई मार्ग बंद-गांवों में घुसा पानी

देवीपाटन मंडल का बलरामपुर जिला पिछड़े इलाकों में आता है। यहां भी ग्रामीण दशकों से हर साल बाढ़ का दर्द झेल रहे हैं। गुलरिहा गांव के संतोष कहते हैं कि सरकारें बदलती हैं, लेकिन हमारी किस्मत नहीं बदलती है। हम हर साल गांव छोड़ कर जाते है। हमें हर साल बाढ़ का दंश झेलना ही पड़ता है।

बलरामपुर में राप्ती नदी नदी में नेपाली नालों का पानी आता है। जिसकी वजह से वह उफान पर है। नदी किनारे बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। लोगों के निकलने की भी जगह नहीं है। रास्तों पर दलदल की स्थिति बन चुकी है। कई जगह तेज बहाव में रास्ता ही बह गया है। बिशुनपुर गांव में जलभराव हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि करीब 15 किलोमीटर दूर जंगल का पानी इसी रास्ते से जाता था। जल निकासी का साधन बंद होने से दिक्कत का सामना हम गांव वालों को करना पड़ रहा है।

बहराइच: 150 बीघा फसल डूबी, ग्रामीण बांधों पर बनाने लगे ठिकाना

बहराइच के महसी में घाघरा नदी खतरे के निशान पर बह रही है। नदी ने कटान तेज कर दी है। कटान के कारण ग्रामीणों की 150 बीघा कृषि योग्य जमीन नदी में समा गई है। कटान तेज होने से मंझारा तौकली और अहिरनपुरवा सहित आधा दर्जन गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हैं।

जिले में नानपारा, मिहीपुरवा, महसी व कैसरगंज तहसील बाढ़ प्रभावित रहती हैं। नदी ने कटान की वजह से तकरीबन 200 बीघा खेती योग्य जमीन नदी में समा गई है। गांव के लोग सुरक्षित स्थानों की ओर से गृहस्थी समेटकर पलायन करने को मजबूर हैं। बाढ़ आने की संभावना को देखते हुए ग्रामीण अपनी गृहस्थी के सामान को बटोरने लगे हैं। अब सुरक्षित स्थान की तलाश में है।

श्रावस्ती: 35 गांव में घुसा बाढ़ का पानी

जिले में पिछले बारिश ने नदियों के जलस्तर को बढ़ा दिया। राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है। नदी ने कटान तेज कर दी है। कटान के कारण ग्रामीणों की 200 बीघा कृषि योग्य जमीन नदी में समाहित हो गई है। कटान तेज होने से जमुनहा क्षेत्र के लगभग 35 गांव जलमग्न हो गए हैं। 35 गांव में लगभग 50 हजार की आबादी प्रभावित हो रही है। लोग अपने घरों को तोड़ कर उंचाई की तरफ जा रहे हैं।

महाराजगंज: आधा दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में, ग्रामीणों ने शुरू किया पलायन

नेपाल से सटे यूपी के जिले महाराजगंज में बाढ़ विकराल रूप धारण करती जा रही है। अभी फिलहाल आधा दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आये हैं। इसमें खैरहवा दूबे, दोगहरा, विशुनपुरा, अमहवा, मोहनपुर जैसे गांव शामिल हैं। बाढ़ से प्रभावित गांव की आबादी अब अपने घरों का सामान लेकर बांधों पर 4 महीने के लिए अपना ठिकाना बनाने निकल रही है। दरअसल, नेपाली नदी महाव पर बने तटबंध पर दरार आने से महाराजगंज में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। घरों में पानी भर गया है।

बाढ़ के चलते अब प्रशासन भी अव्यवस्था की अनदेखी कर रहा है। जिले के नौतनवा में एक गांव में रास्ता जब बाढ़ में बह गया तो गांव वालों ने चंदा इकठ्ठा कर लकड़ी का पुल बना लिया। हालांकि इसके बावजूद कोई अधिकारी झांकने तक नहीं आया।