
-प्रियंका का एलान सरकार बनी तो छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी
-चुनाव में चालीस फीसदी महिलाओं को उम्मीदवार बनाने का एलान
-योगी सरकार दिसंबर से ६८ लाख युवाओं को बाटेगी स्मार्टफोन और टैबलेट
-वोटरों को रिझाने का सबक भाजपा कांग्रेस ने सपा से सीखा
योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ । विधानसभा चुनाव की दस्तक होते राजनीतिक दलों में वोटरों को रिझाने और लुभाने के लिए एक से बढ़कर एक वादे किए जा रहे है। कांग्रेस ने जहां चालीस फीसदी महिलाओं को उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा की है वहीं उसने यह भी कहा कि सरकार बनी तो बारहवी पास छात्राओं को स्मार्ट फोन और स्नातक की छात्राओं को इलेक्ट्रानिक स्कूटी दी जायेगी। प्रियंका गांधी ने अब फ ्री फंड वाली राजनीति का दांव खेला है। उनकी सात प्रतिज्ञा में सबसे प्रमुख है किसानों का पूरा कर्जा माफ ।
कोरोना काल का बकाया बिजली बिल पूरा माफ होगा। प्रियंका ने 20 लाख लोगों को सरकारी रोजगार देने का वादा भी किया लेकिन उनका यह वादा पत्थर पर दूब उगाने की तरह है। इससे इतर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने दिसंबर से 68 लाख युवाओं को टैबलेट व स्मार्टफोन देने का निर्णय लिया है। हालांकि सरकार का यह निर्णय कोई इलेक्शन आफर नहीं है,लेकिन विपक्ष इसे चुनाव से ही जोड़कर देख रहा है। विपक्ष का कहना है के युवाओं का वोट बटोरने की गरज से ऐनचुनाव से पहले यह निर्णय लिया गया है। युवाओं और छात्र-छात्राओं के वोट हासिल करने के लिए इस तरह के प्रयोग पहले भी हुए है। यह प्रयोग यूपी से पहले तामिलनाडु और दूसरे राज्यों में हुआ। यूपी में पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में इंटर पास छात्रों को लैपटाप और हाईस्कूल पास को टैबलेट और कन्या विद्याधन और बेरोजगारी भत्ता देने के वादे और नारे के साथ सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव वोटरों को लुभाने की गरज से स्मार्ट फोन दिए जाने का भरोसा दिलाया था। उस समय विपक्ष में रही बहुजन समाज पार्टी ने सत्ता में आने पर युवाओं को स्मार्टफोन के बजाए नकद राशि दिए जाने का एलान किया था। जबकि कांग्रेस ने कर्जा माफ बिजली का बिल हाफ करने के साथ ही 27 साल का हिसाब लिए जाने का एलान किया था। कुछ ऐसा हुआ कि इन तीनों दलों द्वारा वोटरों को रिझाने के लिए किए गए एक से बढ़कर सारे वादे हवा हो गये और भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ हुई। 2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व सभी दलों ने वोटरों को आकर्षित करने के लिए एक से एक आर्कषक आफर दिए थे राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव से पूर्व वोटरों को रिझाने और लुभाने की गरज से इस तरह के घोषणओं को सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टïाचार की श्रेणी में माना था। इस बावत एससी ने चुनाव आयोग से आवश्यक कदम उठाने को भी कहा था। बावजूद इसके राजनीतिक दलों द्वारा वोटरों को रिझाने के लिए वोट के एवज में प्रलोभन दिए जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। चुनावों से पूर्व किए गए वादों को पूरा करने के लिए जो वित्तीय भार आता है वह भी सरकार के खजाने से ही जाता है। 2012 में यूपी में वोटरों से किए गए वादों के मुताबिक तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने सारी स्कीमों के लिए 19,058 करोड़़ से अधिक की राशि सुनिश्चित की थी।
2012 में गरीबीें की रेखा से नीचे की महिलाओं को छह सौ करोड़ं साडिय़ा बांटी गयी। 2017 में अखिलेश यादव ने सब्जबाग दिखाया था कि अगर दूसरी बार सरकार बनी तो 18 साल से ऊपर के नौजवानों को मुफ्त स्मार्ट फोन दिया जाएगा। लेकिन मतदाताओं ने इस हवा हवाई योजना की हकीकत समझ ली और अखिलेश यादव को सत्ता से बेदखल कर दिया। अब प्रियंका गांधी स्कूटी पर सवार हो कर सत्ता की मुराद पूरा करना चाहती हैं। प्रियंका गांधी ने बारहवी पास लड़कियों को स्मार्ट फ ोन और बीए पास लड़कियों को स्कूटी देने की घोषणा की है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव जब मार्च 2012 में यूपी के सीएम बने थे। उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में मुफ्त टैबलेट और लैपटॉप देने का वादा किया था। 2012 में हाईस्कूल पास करने वालों की संख्या करीब 29 लाख 80 हजार थी। 2013 में 28 लाख 86 विद्यार्थी हाईस्कूल पास हुए थे। करीब 58 लाख विद्यार्थियों को टैबलैट मिलना चाहिए था।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 2012 में हाईस्कूल पास करने वाले छात्रों ने 2014 में इंटर पास कर लिया और वे लैपटॉप के दावेदार हो गये। 2012 और 2013 और 2014 में इंटर पास करने वाले छात्रों की संख्या 60 लाख के पार हो गयी थी। सरकार के वायदे को मुताबिक इन सभी को लैपटॉप मिलना चाहिए था। 2014 में 60 लाख में से केवल 14.08 लाख छात्र.छात्राओं को ही मुफ्त लैपटॉप मिला पाया था। इस मद में सरकार को 2700 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे।