गोपाल त्रिपाठी
गोरखपुर। शहर के पैडलेगंज स्थित अवैध स्टैंड से महीने में कम से कम 15 लाख रुपये की वसूली होती थी। इन रुपये में सबका हिस्सा लगता था। आईजी जय नारायन सिंह की शुरुआती जांच में यह सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अवैध स्टैंड से विनय सिंह प्रति गाड़ी 800 रुपये की वसूली करता था। उसमें से 100 रुपये वह खुद रखता था और बाकी 700 रुपये पुलिस विभाग में बांटा जाता था।
वसूली के लिए पिछले कुछ महीने में बने पैडलेगंज अवैध स्टैंड से 90 से ज्यादा की संख्या में बस और ट्रेवलर चलते हैं। इन गाडियों से प्रति गाड़ी प्रति चक्कर 800 रुपये की वसूली होती थी। यह बात विभिन्न लोगों के बयान के आधार पर सामने आई है। आईजी जय नारायन सिंह ने अवैध वसूली की घटना में बस मालिक के अलावा सीओ ट्रैफिक संतोष सिंह, सीओ ट्रैफिक के गनर, सीओ कैंट प्रभात राय, इंस्पेक्टर कैंट रवि राय, पैडलेगंज चैकी इंचार्ज, बस मालिक कल्लू सिंह, मुकदमा दर्ज कराने वाले वादी कल्लू के भाई जीत प्रकाश सिंह का बयान दर्ज कराया। विनय सिंह के जेल में होने के नाते अभी उसका बयान दर्ज नहीं हो पाया है। हालांकि उसकी पत्नी सीमा सिंह ने अपना बयान दर्ज कराया है। सीमा सिंह ने ही मुख्यमंत्री से शिकायत की थी जिसके आधार पर आईजी को जांच सौंपी गई थी। इन लोगों के बयान के आधार पर आईजी ने एक रिपोर्ट शासन को भेज दी है। बयान के आधार पर ही 800 रुपये प्रति गाड़ी वसूली की बात सामने आई है।
पद के दुरुपयोग में नपे सीओ ट्रैफिक
सीओ ट्रैफिक संतोष सिंह को भ्रष्टाचार के मामले में प्रथम दृष्टया तो क्लीनचिट मिली है पर पद के दुरुपयोग के मामले में वह दोषी पाए गए हैं। जांच में पता चला कि संतोष के रिश्तेदार कल्लू सिंह की बस चलती है और कल्लू के कहने पर ही वह पहुंचे थे। नियमानुसार सीओ कैंट या फिर इंस्पेक्टर कैंट को वसूली की शिकायत पर वहां पहुंचना चाहिए था। यही नहीं अपने बयान में कल्लू सिंह ने यह स्वीकार भी किया है कि संतोष सिंह उनके दूर के रिश्तेदार हैं लिहाजा यहां पद के दुरुपयोग का मामला बन गया है। फिलहाल विनय सिंह का बयान अभी बाकी है। वह अपने बयान में सीओ ट्रैफिक पर क्या आरोप लगता है यह महत्वपूर्ण है।
भ्रष्टाचार में अभी नप सकते हैं कई और पुलिसवाले
डग्गामार वाहनों से वसूली के भ्रष्टाचार को लेकर तो अभी कार्रवाई ही नहीं हुई है। माना जा रहा है कि आईजी की जांच रिपोर्ट के आधार पर अभी कई और लोग भ्रष्टाचार के मामले में भी नप सकते हैं। जांच में यह बात तो स्पष्ट हो गई है कि वाहन संचालन के नाम पर वसूली होती है पर यह रुपये कहां-कहां जाते थे इसकी जानकारी विनय सिंह के पास है। विनय सिंह वर्तमान में जेल में बंद है। लिहाजा विनय सिंह के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई निर्भर है। सूत्रों के अनुसार विनय सिंह से सम्पर्क कर कुछ पुलिसवाले अपनी इज्जत बचाने की गुहार लगा रहे हैं।
डग्गामार वाहन की कमाई का यह है गणित
डग्गामार वाहनों को गोरखपुर के पैडलेगंज में अवैध तरीके से स्टैंड मुहैया कराई गई है। इसी के बदले वसूली होती है। सूत्रों के मुताबिक 15 बसें यहां से दिल्ली के लिए चलती हैं। इनमें कुछ के मालिक स्थानीय हैं जो कम पैसा देते हैं वहीं कुछ देवरिया, बिहार व बाहर की भी होती हैं जिनसे वसूली ज्यादा होती है। यहां से गोरखपुर और लखनऊ मिलाकर 80 टेम्पो ट्रेवलर चलती हैं। प्रति गाड़ी 800 रुपये की वसूली से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि महीने में कितनी रकम की वसूली होती थी।