​​​​गोरखपुर : आडवाणी को भारत रत्‍न सही समय पर उचित निर्णय: शिव प्रताप शुक्‍ल

गोरखपुर: हिमाचल प्रदेश के राज्‍यपाल शिव प्रताप शुक्‍ल अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। वह राज्‍यसभा का सदस्‍य रहने के साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। उत्‍तर प्रदेश सरकार में भी मंत्री रहे हैं। उनका मानना है क‍ि राजनीतिक क्षेत्र में किसी मुद्दे पर वैचारिक सहमत‍ि-असहमति हो सकती है, लेकिन लोकहित के मुद्दों पर सिर्फ विवाद पैदा करने के लिए कोई विषय नहीं उठाया जाना चाहिए। समान नागरिक स‍ंहिता को वह देश की आवश्‍यकता कहते हैं। शिव प्रताप शुक्‍ल, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्‍ण आडवाणी को भारत रत्‍न दिए जाने को उपयुक्‍त समय पर लिया गया उपयुक्‍त निर्णय मानते हैं। निर्णय को स्‍वागतयोग्‍य बताते हुए उन्‍होंने कहा क‍ि इससे साबित हुआ है कि ऐसा उचित निर्णय लेने की क्षमता प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की है।

शिव प्रताप शुक्‍ल सोमवार को गोरखपुर स्थित आवास पर दैनिक भास्‍कर से बातचीत कर रहे थे। उन्‍होंने लालकृष्‍ण आडवाणी को भारत रत्‍न दिए जाने के निर्णय, समान नागरिक संहिता (यूसीसी), अयोध्‍या में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर खुलकर बातचीत की। कहा क‍ि इसे समझना चाहिए क‍ि लालकृष्‍ण आडवाणी की अत्‍यंत ईमानदार राजनेता के रूप में प्रतिष्‍ठा रही है। उन्‍हें भारत रत्‍न देने का निर्णय निश्चित रूप से सराहनीय है। उनके सेवा कार्य और राजनीति में उनके कद को देखते हुए जो निर्णय लिया गया है, वह सभी को सहज रूप से स्‍वीकार हुआ है।

इसके लिए राष्‍ट्रपति व प्रधानमंत्री साधुवाद के पा्त्र हैं। उनके निर्णय ने देश के लोगों को प्रसन्‍नचित्‍त किया है। समान नागरिक संहिता के पक्षधर शिव प्रताप शुक्‍ल कहते हैं क‍ि यह राष्ट्र की आवश्‍यकता है और इसे लागू करने की जरूरत है। उनका मानना है क‍ि इसे लेक‍र किसी प्रकार का विवाद अथवा विरोध होना ही नहीं चाहिए और सभी देशवासियों को इसका स्‍वागत करना चाहिए। अयोध्‍या में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा को ऐतिहासिक बताते हुए राज्‍यपाल ने कहा क‍ि यह भारत की संस्‍कृति, राष्‍ट्रनीति और अस्मिता से जोड़नेे वाला है। इसे सिर्फ धार्मिक नजरों से नहीं देखना चाहिए। इसे राजनीतिक नजरिये से नहीं लेना चाहिए। राम में भारत को देखना चाहिए।

हम सभी जानते हैं कि भगवान राम का जीवन एक आदर्श पुरुष, एक आदर्श राजा, एक आदर्श भाई के रूप में रहा। इतना ही नहीं वन में रहते हुए भी उन्‍होंने हर वर्ग-समाज के लोगों को जोड़ने का कार्य किया। समाज के हर वर्ग को आदर दिया। उनके प्राण प्रतिष्‍ठा कार्यक्रम को लेकर विदेश तक में खुशियां मनाईं गईं। विदेश में रहने वाले ऐसे लोग, जो भारतीय संस्‍कृति को जानते हैं, दीप जलाकर प्रसन्‍नता का प्रदर्शन किया। मेरे राम आए हैं, इसकी प्रसन्‍नता हर जुबान पर आ गई। उनका स्‍पष्‍ट मानना है कि राम में भारत को देखना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा क‍ि किसी भी राज्‍यपाल का उस प्रदेश की सरकार से सामंजस्‍य उस सरकार के संवैधानिक कार्यों पर निर्भर करता है, क्‍योंकि संवैधानिक व्‍यवस्‍था से कोई भी अलग नहीं हो सकता।

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