
विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने की। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती पी पवार और भारत में डब्ल्यूएचओ (WHO) के प्रतिनिधि डॉ रोडेरिको ओफ्रिन ने भाग लिया। मलेरिया दुनिया भर में एक घातक बीमारी बनी हुई है, जो मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। भारत देश में मलेरिया को खत्म करने के लिए कई तरह के प्रयाश कर रहा है।
डब्ल्यूएचओ (WHO) के प्रतिनिधि डॉ रोडेरिको ओफ्रिन ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ग्लोबल मलेरिया तकनीकी रणनीति के अनुसार भारत ने 2027 तक मलेरिया उन्मूलन के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा विकसित किया है। इसके जरिए भारत 2030 तक मलेरिया को खत्म कर देगा।
मलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए भारत कर रहा कई प्रयास- WHO
कई रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया के कई और देशों की तुलना में मलेलिया भारत को अधिक प्रभावित करता है। हालांकि भारत इसके नियंत्रण और उन्मूलन के लिए देश भर में समय-समय पर कई अभियान चलाता रहता है। इसके साथ ही मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को पैदा होने से रोकने के लिए कहीं भी पानी जमा ना हो इसके लिए जगरूकता अभियान भी चलाता है। वहीं मलेरिया फैलने से रोकने के लिए अपने आस-पास साफ-सफाई रखने के लिए भी सरकार के द्वारा अलग-अलग माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जाता है।
मलेरिया दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व मलेरिया दिवस के शुरूआत का विचार अफ्रीका मलेरिया दिवस से विकसित हुआ है। सबसे पहले अफ्रीकी सरकार ने 2001 में मलेरिया दिवस मनाया था। 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के 60वें सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रस्ताव रखा कि अफ्रीका मलेरिया दिवस को विश्व मलेरिया दिवस में बदल दिया जाए। इसके बाद से मलेरिया दिवस मनाया जाने लगा। इसको मनाने के पीछे का उद्देश्य मलेरिया से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करना है।