
भास्कर ब्यूरो
नई दिल्ली। टेरर फंडिंग केस में दोषी करार दिए यासीन मलिक को पटियाला हाउस स्थित एनआईए कोर्ट ने बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने फांसी की सजा की मांग की थी। मलिक की सजा को देखते हुए कश्मीर में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। श्रीनगर समेत आस-पास के इलाकों में भारी सुरक्षा तैनात की गई है। जब तक सांस रहेगी तब तक जेल में रहेगा यासीन। कोर्ट ने दस लाख का जुर्माना भी लगाया है।
यासीन मलिक का जन्म तीन अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हुआ था। शुरुआती जिंदगी संघर्ष भरी थी क्योंकि उसके पिता सरकारी बस ड्राइवर थे। हालांकि, मलिक पढ़ने-लिखने में अच्छा था। अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने ग्रेजुएशन भी पूरा किया था।
साल 1986 में उसने ‘ताला पार्टी’ का नाम बदलकर ‘इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी (आई एस एल) कर दिया था। इस संगठन ने कश्मीरी युवाओं में अलगाववादी भावना भड़काने के लिए खास तौर पर काम करना शुरू किया था। जावेद मीर, अशफाक मजीद वानी और अब्दुल हमीद शेख जैसे आतंकी इस संगठन के सदस्य थे।
जेकेएलएफ प्रमुख मकबूल बट को अपना आइडल मानता था. मकबूल बट एक अलगाववादी नेता था और आतंक फैलाने, मासूमों की हत्या की सजा में साल 1984 में फांसी दे दी गई थी। इसके कुछ समय बाद यासीन जेकेएलएफ प्रमुख बन गया था।
1990 में कश्मीरी पंडितों को वहां से भगाने में सबसे आगे रहने वालों में से यासीन एक था। साल 1994 में लिबरेशन फ्रंट को एक राजनीतिक दल के रूप में पेश करने की भी यासीन मलिक ने कोशिश की थी।
यासीन मलिक को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दोषी करार दिया था और यासीन ने आतंकवाद के वित्त पोषण के एक मामले में सभी आरोप स्वीकार कर लिये थे।
यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) के सभी आरोप खुद मलिक ने स्वीकार किया है।
टेरर फंडिंग का है मामला
लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया था। इन सबको भगोड़ा अपराधी बताया गया है। यह मामला हाफिज सईद और हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्यों सहित अलगवावादी नेताओं की कथित साजिश से संबंधित है। इन्होंने प्रतिबंधित आतंकी संगठन – हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तरान ए मिल्लत, लश्कर ए तैयबा – और अन्य के सक्रिय सदस्यों के साथ हवाला सहित विभिन्न अवैध माध्यमों से देश-विदेश से धन जुटाने की साजिश रची थी।
2017 में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एन आई ए) ने यासीन मलिक समेत कई अलगाववादी नेताओं के खिलाफ टेरर फंडिंग का केस दर्ज किया। इन पर पाकिस्तान से पैसे लेकर कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद बढ़ाने का आरोप लगा। 19 मई 2022 को एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को दोषी पाया और 25 मई को उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।