श्वेता अग्रवाल हत्याकांड : न्यायाधीश ने फांसी की सजा सुनाने के दौरान कहा, इस धरती पर तुम्हें जिंदा रहने का अधिकार नहीं

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गुवाहाटी  । इस जघन्य अपराध के लिए तुम्हें इस पृथ्वी पर जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है। यह टिप्पणी बहुचर्चित श्वेता अग्रवाल हत्याकांड मामले के मुख्य दोषी को फांसी की सजा सुनाने के दौरान कामरूप (मेट्रो) जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ए. चक्रवर्ती ने की।

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न्यायाधीश ने मामले के मुख्य दोषी को फांसी की सजा सुनायी, जबकि उसकी मां एवं बहन को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि 04 दिसम्बर 2017 को गुवाहाटी के भरलुमुख थानांतर्गत शांतिपुर इलाके में श्वेता अग्रवाल की उसके कथित प्रेमी गोविंद सिंघल, उसकी माता कमला देवी सिंघल तथा बहन भवानी सिंघल ने मिलकर हत्या की कोशिश के बाद उसे जिंदा जला दिया था। गोविंद के घर के बाथरूम से श्वेता का अधजला शव बरामद हुआ था। इस घटना के खिलाफ पूरे इलाके में हो रहे विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था।

 

न्यायाधीश ने फैसला सुनाते समय कहा कि यह जघन्य अपराध है। न्यायालय ने गोविंद सिंघल को कहा कि इस जघन्य अपराध के लिए तुम्हें इस पृथ्वी पर जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है। फैसला आने के बाद न्यायालय में मां-बेटी फूट-फूट कर रोने लगीं। गोविंद सिंघल के चेहरे पर इस फैसले को लेकर कोई पछतावा नहीं देखा गया। न्यायालय के फैसले के बाद श्वेता के परिवार वाले काफी खुश दिखे। श्वेता के माता-पिता ने कहा कि आज मेरी बेटी को न्याय मिला है। आज मेरी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी।

सरकारी वकील अभिजीत भट्टाचार्य ने अदालत के फैसले के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि श्वेता मामले में हमारी ओर से 20 गवाह पेश किए गए थे। इसमें पुलिस अधिकारी व डॉक्टर सहित अन्य लोग शामिल थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह साफ हो गया था कि श्वेता की हत्या से पहले उसे धारदार हथियार से शरीर के 12 जगहों पर हमला किया था। उसके शरीर पर 12 जख्मों के निशान पाए गए थे। जिसके बाद उसे जिंदा जलाया गया था।

श्वेता द्वारा प्रेम का प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद गोविंद सिंघल ने अपनी मां और बहन के साथ मिलकर बड़ी बेरहमी से उसे मौत के घाट उतार दिया था। गोविंद के परिवार की ओर से तीन गवाह पेश किये गये।

ज्ञात हो कि 30 जुलाई को दोनों पक्षों की ओर से अंतिम दलीलें पेश की गईं थीं। सबूत व गवाहों के बयान के आधार पर न्यायाधीश ने विभिन्न धाराओं में तीनों आरोपितों को दोषी करार दिया था। सजा का ऐलान गुरुवार को होने वाला था, लेकिन गुरुवार को इसे शनिवार तक के लिए टाल दिया गया था। कड़ी सुरक्षा के बीच तीनों दोषियों को शनिवार को न्यायालय में लाया गया था।

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उल्लेखनीय है कि श्वेता अग्रवाल 2015 के उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में वाणिज्य संकाय में राज्यभर में टॉप किया था। इस मामले में आरोपित गोविंद, मां कमला देवी और बहन भवानी सिंगल को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 201 (सबूतों को नष्ट करने) के मामले में दोषी पाया था।

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