दयाशंकर सिंह की मेहनत लाई रंग, 28 साल बाद बलिया नगर पालिका में खिला कमल

बलिया नगर पालिका में जीत से मंत्री दयाशंकर सिंह के कार्यों पर लगी मुहर !

बलिया, (हि. स.)। जिले की सबसे बड़ी नगर पालिका परिषद में 28 साल बाद भाजपा का कमल खिलने को लोग नगर विधायक व योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह के एक साल के कार्यों पर मुहर मान रहे हैं।

जिला मुख्यालय की नगर पालिका पर कब्जा के लिए नगर विधायक दयाशंकर सिंह ने टिकट बंटवारे से लेकर मतदान के दिन तक अपनी रणनीति को सफल बनाया। कुल 32 लोगों ने बलिया नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए टिकट की मांग की थी। संत कुमार मिठाई लाल को टिकट दिए जाने के बाद यदि बाकी लोगों ने बागी होकर चुनाव नहीं लड़ा तो इसके पीछे दयाशंकर सिंह की रणनीति ही थी। उन्होंने सबको साध लिया। किसी को भी नाराज नहीं होने दिया। जबकि टिकट मांगने वालों में एकाध चेहरे ऐसे थे जिनका कद बड़ा था। बावजूद इसके उन्हें भी चुनाव प्रचार में जोर शोर से लगे हुए देखा गया। दयाशंकर सिंह चुनाव प्रचार के लिए बड़े नेताओं को बुलाने में भी सफल रहे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर पालिका चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिला मुख्यालय पर चुनावी सभा हुई। इसके अलावा दयाशंकर सिंह ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, गोरखपुर के सांसद व अभिनेता रवि किशन तथा आजमगढ़ के सांसद व भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल निरहुआ की सभाएं कराईं। यही नहीं, 1995 के नगर पालिका चुनाव में हरेराम चौधरी के बाद संत कुमार गुप्ता मिठाई लाल के चेयरमैन बनाने के लिए मंत्री दयाशंकर सिंह ने जो बयान दिए, वह भी तुरुप का पत्ता साबित हुए।

उन्होंने बलिया नगर से विधायक रहे एक पूर्व मंत्री का बिना नाम लिए अपनी हर चुनावी सभा में ‘गुरु घंटाल’ कह कर संबोधित किया। इसे एक रणनीति के तहत दिया गया बयान माना गया। लोगों का मानना है कि इसका भी असर नगर की जनता पर हुआ। नतीजतन भाजपा के कमल की आंधी में निर्दल संजय उपाध्याय तो हारे ही, सपा उम्मीदवार लक्ष्मण गुप्ता तीसरे स्थान पर चले गए। भाजपा की इस चुनावी जीत में दयाशंकर सिंह द्वारा की घोषणाओं का भी असर बताया जा रहा है।

बीते एक साल में चाहे सीवर के लिए 421 करोड़ की स्वीकृति हो या मेडिकल काॅलेज समेत अन्य घोषणाएं, जमीन पर उतरती दिख रहीं इन योजनाओं का भी जनता में सकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसी एक साल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का छह बार बलिया आने के पीछे मंत्री दयाशंकर सिंह को ही श्रेय दिया जा रहा है। वह लोगों में यह संदेश देने में सफल रहे कि मुख्यमंत्री के बार-बार आने का मतलब नगर का विकास होगा।