
– तीन दिनों तक पुलिस के कब्जे में रहते है बकरे ,सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त
मेंहदावल, संतकबीरनगर। जिले के मेंहदावल तहसील के उत्तरी छोर पर मेंहदावल से 15 किलोमीटर दूर बसा मुसहरा एक ऐसा गांव है, जहां पिछले कई सालों से बकरीद के पहले पुलिस सारे बकरे उठा ले जाती है और तीन दिन बाद ये बकरे सकुशल वापस कर देती है। इस गांव में कुर्बानी पिछले 15 साल से नहीं होती है। ये परंपरा 2007 से चलती चली आ रही है। इस गांव की कहानी चौंकाने वाली है। इस गांव में हर साल त्यौहार के समय तनाव सामने आता है। यहां एक तरफ हिंदू पक्ष बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने देता तो बदले में मुस्लिम पक्ष के लोग होलिका दहन नहीं करने देते। दोनों पक्षों में वैसे तो और कभी तनाव देखने को नहीं मिलता लेकिन बकरीद और होली पर स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है। अब हर साल गांव में पुलिस कुर्बानी के बकरों को बकरीद के पहले उठा ले जाती है और त्योहार बीत जाने पर तीन दिन बाद ही वापस करती है। पूरा खयाल रखा जाता है कि कहीं कोई बकरीद पर कुर्बानी न कर दे।
क्या है मामला : मुसहरा गांव जिले के धर्मसिंहवा थानाक्षेत्र में पड़ता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक मुसहरा गांव में बकरीद पर कभी कुर्बानी नहीं हुई और यहां हमेशा से रोक लगी हुई है। तब इस तरह की कोई बात भी नहीं थी। लोग दूसरे गांव में कुर्बानी कराते थे। लेकिन 2007 में पूर्व विधायक ताबिश खां के कहने पर इस गांव में कुर्बानी कर दी गई। इसके बाद यहां जमकर बवाल हुआ। बात इतनी बढ़ी कि लूटपाट से लेकर आगजनी और तोड़फोड़ तक हो गई। हिंसा को काबू में करने के लिये पुलिस को बड़े पापड़ बेलने पड़े थे। तब से कुर्बानी को लेकर सख्ती शुरू हो गई। अब हर साल बकरीद आने पर वहां सुरक्षा के लिहाज से पुलिस फोर्स ओर पीएसी तक तैनात कर दी जाती है. पुलिस बकरीद के एक दिन पहले ही गांव में पहुंच जाती है और कुर्बानी के बकरों को कब्जे में लेकर गांव के पास बने एक मदरसे या सरकारी स्कूल में कैद कर देती है। त्योहार खत्म होने के तीन दिन बाद जाकर बकरे उनके मालिकों को वापस किये जाते हैं। इस मामले पर जिले के आलाधिकारियों की नजर रहती है।
गांव में कोई हिंसा न हो, इसके लिये पुलिस बकरों को ले आती है ताकि कुर्बानी पर लगी रोक बरकरार रहे। गांव के मुस्लिम पक्ष के लोगों ने बताया कि वो कुर्बानी करना चाहते हैं, लेकिन पुलिस और गांव के हिन्दू पक्ष के लोग उन्हें बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने देते। इस मामले में पुलिस मदद करने के बजाय उन्हीं के बकरों को तीन दिन के लिये कैद कर लेती है। वही हिन्दू पक्ष कहता है कि कोई नई परंपरा नहीं बनने दी जाएगी। दलील और दावा ये कि जब कुर्बानी गांव के बाहर एक जगह पर होती आयी है तो गांव में कुर्बानी क्यों की गई? उनके मुताबिक जब बकरीद पर कुर्बानी नहीं करने दी गई तो मुस्लिम पक्ष के लोगों ने होलिका जलाने वाली जमीन को कब्रिस्तान की भूमि बताकर विवाद पैदा किया और पिछले कुछ साल से होलिका जलनी भी रुक गई। पिछले एक हफ्ते से डीएम – एसपी , एसडीएम ,सीओ रोजाना भ्रमण कर घटना की जानकारी ले रहे हैं।
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शनिवार को हम और कप्तान साहब निरीक्षण करने गए थे ,ग्रामवासियों के साथ बैठक की गई है किसी भी तरह से नई परम्परा नही शुरू करने दी जाएगी ,सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त है, बकरीद के बाद बकरे वापस कर दिए जाएंगे “
संदीप कुमार।
जिलाधिकारी ,संतकबीरनगर