महाराष्ट्र की धरती पर तेलंगाना माॅडल का पहला प्रयोग

बीआरएस के रथ को तेलंगाना से निकाल कर अम्बेडकर की जन्मस्थली लेकर पहुंचे केसीआर

धर्म का कवच, किसान व कृषि क्रान्ति, जल प्रबंधन का नया रास्ता और सामाजिक समरसता के नए पैकेज के साथ पड़ोसी राज्य में की धमाकेदार इंट्री

भास्कर समाचार सेवा

नई दिल्ली/ सोलापुर। विपक्ष की एकता और प्रधानमंत्री मोदी की सत्ता से खुद को अलग करके भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ( केसीआर)   अब अपने दम पर देश के सामने एक नया माॅडल पेश कर रहे हैं। इसे तेलंगाना माॅडल के नाम से भी जाना जाता है। तेलंगाना में इसके सफल परीक्षण के बाद अब इसे पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में प्रयोग किया जाएगा। जिसकी शुरुआत केसीआर ने   गत 27 जून से पूरी दमखम के साथ की। अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथियों और अन्य लोगों के साथ उनका काफिला सड़क मार्ग से मंगलवार को महाराष्ट्र के सोलापुर के लिए रवाना हुआ। सड़क मार्ग का चुनाव करके केसीआर ने दो महत्वपूर्ण संदेश देने की कोशिश की है। पहला कि  उनका और उनकी पार्टी बीआरएस का मिशन हवाई नहीं है वह महाराष्ट्र की जमीन से जुड़ने के मजबूत इरादे इरादे के साथ यहां दाखिल हुए हैं। दूसरा, यहां संगठन खड़ा करने की इच्छा और तेलंगाना से लगे महाराष्ट्र के उन सीमाई इलाकों की पैमाइस करना जिनको वो अपने तेलंगाना माॅडल की पहली प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं। विदर्भ सहित महाराष्ट्र के अधिकतर क्षेत्रों की भौगोलिक और सांस्कृतिक स्थिति तेलंगाना जैसी ही है। सिंचाई और पीने के पानी की दुर्लभता, किसानों और कृषि की कमजोर स्थित, सामाजिक विषमताएं कमोवेश वही हैं जो तेलंगाना में हुआ करती थीं। जिन पर अपने करीब नौ साल के कार्यकाल में केसीआर ने सफलतापूर्वक विजय प्राप्त की बल्कि इन कमजोरियों को अपनी राजनीतिक शक्ति में तब्दील कर दिया। 

क्या है केसीआर का तेलंगाना माॅडल ?

लम्बे संघर्ष के बाद दस साल पहले संयुक्त आंध्र प्रदेश से पृथक तेलंगाना बनाने वाले केसीआर की सबसे बड़ी, महत्वपूर्ण, चर्चित और उपलब्धि * कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना है जिसका दूसरा बड़ा हिस्सा भागीरथ जल मिशन योजना है। दोनों ही योजनाओं की चर्चा देश ही नहीं बल्कि वैश्विक रुप से भी चर्चा में हैं। जिसमें महाराष्ट्र से निकलती हुई प्राण हेता, कर्नाटक की कृष्णा, गोदावरी के जल का इतनी कुशल इंजीनियरिंग करके पानी को 500 मीटर तक लिफ्ट करा के ऊपरी पठार तक पहुंचा दिया गया है। जिससे लाखों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, उद्योगों को पानी और मिशन भागीरथ के जरिए हर घर को नल मिलना सुनिश्चित हुआ है।  विश्व की इस सबसे बड़ी व जटिल परियोजना ने तेलंगाना को सबसे कुशल जल प्रबंधन वाले राज्य की कतार में सबसे ऊपर खड़ा कर दिया है।‌ इसके अलावा हर किसान परिवार को दस हजार रुपए प्रति एकड़ की सालाना आर्थिक सहायता ने आत्म हत्या कर रहे किसानों को अब खुशहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  तीसरा दलित बन्धु योजना के तहत वे रोजगार दलित युवाओं को 10 लाख रुपए की एकमुश्त आर्थिक सहायता ने उनके जीवन में चमत्कार किया है। मंदिर के पुजारियों के लिए वेतनमान और गरीब ब्राह्मण कन्याओं के व्यवहार में आर्थिक मदद, ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन, जैसी अनेकों सामाजिक योजनाओं ने केसीआर को जबरदस्त लोकप्रियता प्रदान की है ‌।

महाराष्ट्र में भी तेलंगाना माॅडल का प्रयोग

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यदि सीमावर्ती राज्य महाराष्ट्र मध्य प्रदेश तथा अन्य दूसरे राज्यों में भी इस मॉडल का सही से प्रयोग किया जाए तो यह है गुजरात मॉडल की तर्ज पर किसी और को भी एक विजनरी नेता के रूप में न केवल दक्षिण भारत में भी बल्कि मध्य और उत्तर भारत में भी स्थापित कर सकता है। प्रकार गुजरात मॉडल ने नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित किया। यही कारण है कि अपनी यात्रा में सबसे पहले अषाढ़ एकादशी के दिन केसीआर ने यहां के स्थानीय देवता भगवान विठ्ठल के दर्शन कर आशीर्वाद लिया उसके बाद राजनीतिक कार्यकर्ताओं से मिले। महाराष्ट्र का यह क्षेत्र पानी की किल्लत और किसानों की आत्महत्याओं के लिए भी जाना जाता है ऐसे में केसीआर की जल किसान और कृषि योजनाएं यहां के लोगों के लिए आकर्षित करने वाली हैं। दूसरा महाराष्ट्र भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली होने के बावजूद यहां सामाजिक विषमताएं जबरदस्त है ऐसे में केसीआर की दलित बन्धु जैसे योजनाएं यहां की सियासत में उनकी पैठ मजबूत करेंगी। महाराष्ट्र में केसीआर माॅडल हिट हुआ तो उनका अगला कदम मध्य प्रदेश और उसके बाद उत्तर और दक्षिण के दूसरे प्रदेशों की ओर होगा। जिसकी बिसात केसीआर ने अभी से बिछानी शुरू कर दी है। 

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