मिशन 2024 : प्रधानमंत्री मोदी ने पांच घंटे तक अमित शाह-जेपी नड्डा संग ‎किया चुनावी मंथन

-यूसीसी के मुद्दे पर अलग-अलग धर्मों के शीर्ष लोगों से चर्चा कर ‎बिल लाने की तैयारी


नई दिल्ली (ईएमएस)। देश में यूसीसी ‎बिल लाने के पहले अलग-अलग धर्मों के प्रमुख लोगों से चर्चा की जाएगी, साथ ही लोक सभा चुनावों की तैया‎रियां भी होने लगी हैं। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के साथ लगभग पांच घंटे तक एक अहम बैठक की है। ‎मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास पर करीब 5 घंटे तक चली इस बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मंथन किया गया। इसके साथ ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मुद्दे पर भी चर्चा की गई। बताया गया ‎कि बैठक में यह तय हुआ है कि पहले अलग-अलग धर्मों के प्रमुख लोगों से बीजेपी के आला नेता यूसीसी के मुद्दे पर बात करेंगे और सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बिल लाना है, इसे लेकर भी विचार-विमर्श किया गया है। बैठक में उत्तराखंड सरकार द्वारा लाये जा रहे यूसीसी बिल पर भी चर्चा हुई है।


पीएम के साथ इस बैठक में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति पर भी मंथन किया गया है। बैठक में भाजपा संगठन मंत्री बीएल संतोष भी शामिल थे। गौरतलब है ‎कि यूसीसी को लेकर देश में पिछले कुछ दिनों से हलचल काफी तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत करते हुए कहा था, ‘हम देख रहे हैं यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?’ भले ही कई राजनीतिक दलों ने यूसीसी पर बयान को राजनीति से प्रेरित बताया है। ले‎किन यूसीसी लागू करना भाजपा के चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा है।


इधर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया कि यूसीसी के नाम पर क्या देश का बहुलवाद छीन लिया जाएगा। हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) ही एकमात्र ऐसा विपक्षी दल है जिसने यूसीसी को सैद्धांतिक समर्थन दिया है। समान नागरिक संहिता का अर्थ देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून है जो धर्म पर आधारित नहीं है। व्यक्तिगत कानून तथा विरासत, गोद लेने, उत्तराधिकार से जुड़े कानून इस संहिता में शामिल किये जाने की संभावना है।