समान नागरिक संहिता पर आप के बाद अब उद्धव ठाकरे का मिला समर्थन

संसद के मानसून सत्र में पेश हो सकता है यूसीसी विधेयक, उत्तराखंड सरकार ने तैयार किया ड्राफ्ट

भास्कर ब्यूरो

नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर आम आदमी पार्टी तथा उद्धव ठाकरे की शिवसेना द्वारा केन्द्र सरकार को समर्थन दिए जाने के बाद केन्द्र सरकार अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए विधेयक पेश कर सकती है। इस विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को भी भेजा जा सकता है, जो समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों की राय सुनेगी। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने इसको लेकर कुछ बैठकें भी की थीं। वहीं उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर गठित कमेटी ने यूसीसी कानून के लिए अपना ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यूनिफॉर्म सिविल कोड का बिल केंद्र सरकार की ओर से संसदीय स्थायी समिति को भेजा जा सकता है। जो इस पर तमाम हितधारकों से उनके विचार मांगेगी. समान नागरिक संहिता के मानसून सत्र में पेश होने पर संसद में सियासी घमासान मचना तय है। पीएम मोदी के यूसीसी का जिक्र किए जाने के बाद से ही बीजेपी पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल लगातार हमलावर है।

संसदीय स्थायी समिति करेगी बैठक

संसदीय स्थायी समिति ने हाल ही में लॉ कमीशन के प्रतिनिधियों और केंद्रीय कानून मंत्रालय को 3 जुलाई को बुलाया है। स्थायी समिति के शेड्यूल बताता है कि 14 जून को जारी किए गए नोटिस में हितधारकों से उनके विचार मांगे गए थे, जिस पर अब पर्सनल लॉ का रिव्यू किया जाएगा।

जानकार सूत्रों के अनुसार संसद का मानसून सत्र 17 जुलाई से शुरू हो सकता है। यह 10 अगस्त तक चल सकता है। बता दें कि हर साल मानसून के दौरान जुलाई में संसद सत्र का आयोजन किया जाता है। पिछले साल 18 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत हुई थी। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) की जल्द ही बैठक होने वाली है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में सत्र की तारीख को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

एक परिवार में कैसे चलेंगे दो कानून?

हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक भाषण में कहा था कि आज कल हम देख रहे हैं कि यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। आप मुझे बताइए कि एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, परिवार के दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो तो क्या वो घर चल पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है, सुप्रीम कोर्ट डंडा मारती है, कह रही है यूसीसी लाओ।