
– केंद्र और राज्य सरकार जरूरत पड़ने पर आवश्यक वस्तुएं एयरड्रॉप के जरिए लोगों तक पहुंचाएं
नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति भूख से पीड़ित ना हो और भूखा न रहे। अगर जरूरी हो, आवश्यक वस्तुओं को एयरड्रॉप के जरिए लोगों तक पहुंचाया जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राहत कैंपों में राहत सामग्री को बिना किसी बाधा के पहुंचाया जाए। मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि भोजन, दवा आदि जरूरी चीजों की आपूर्ति के साथ यह सुनिश्चित हो कि कहीं भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित ना रहें। मानवीय पहलू को देखते हुए सरकार को यह जरूरी लगे तो चीजों को एयरड्रॉप करने पर भी विचार करे। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई में सरकार द्वारा वहां उठाए गए कदमों की जानकारी और वहां की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को सीबीआई को ट्रांसफर हुए मणिपुर हिंसा मामलों के मुक़दमे असम ट्रांसफर कर दिये थे। कोर्ट ने गौहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से एक या एक से अधिक जजों को सुनवाई का जिम्मा सौंपने को कहा था। सुनवाई ऑनलाइन मोड में होगी। कोर्ट ने कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाहों के बयान मणिपुर के मजिस्ट्रेट दर्ज करेंगे। कोर्ट ने कहा था कि वहां की मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। जब मामला ट्रायल के स्टेज पर आएगा उस दौरान भी हम इसमें आदेश पारित कर सकते हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त तीन रिटायर्ड महिला जजों की कमेटी ने तीन रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को रिपोर्ट देख कर सहयोग करने को कहा था। सात अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था जिसमें जस्टिस शालिनी जोशी और जस्टिस आशा मेनन शामिल हैं। कोर्ट ने सीबीआई जांच की निगरानी के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी दत्तात्रेय पद्सालगिकर को नियुक्त किया था।