चुनावी वर्ष में तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल में व्यापक परिवर्तन के मूड में हैं. तेजस्वी इस दफे यादवों से ज्यादा दलितों-अतिपिछड़ों पर दांव लगा रहे हैं. दरअसल, राजद अब केवल यादवों की पार्टी नहीं है, ऐसा करने की कोशिश में लगे हैं. बिहार के 50 में से 22 जिलों में अति पिछड़ा और दलित जिलाध्यक्ष होंगे.
लालू यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले और पटना के जिलाध्यक्ष देवमुनि यादव पर भी तलवार लटक रही है. अब पटना में राजद के एक के बजाए दो जिलाध्यक्ष होंगे. दूसरा जिलाध्यक्ष बाढ़ से होगा जो अतिपछड़ा वर्ग से ही होगा. सुपौल से विधायक यदुवंशी यादव को भी नई टीम से बाहर रखा गया है. उनकी जगह अब अतिपिछड़ा समाज से किसी को जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा. साथ ही पूर्णिया और मधुबनी जैसे कई जिलों में भी बड़ा उलटफेर होने वाला है. इन जगहों पर भी अब अतिपिछड़ों और दलितों को ही मौका मिलने वाला है. इन सभी जगहों पर अधिकांश जिलाध्यक्ष यादव जाति के ही रहे हैं.
तेजस्वी यादव-जगदानन्द सिंह ने एक नई टीम बनाई है. इस नई टीम में पुराने चेहरों से किनारा किया गया है. कुल 50 जिलाध्यक्षों में 25 नए चेहरों को इस बार मौका मिलने वाला है. इसमें 14 जिलों में अतिपछड़ा वर्ग के जिलाध्यक्ष और 8 जिलों में दलित जिलाध्यक्षों को संगठन में शामिल किया गया है. बाकी बचे 28 जिलों में यादव-मुसलमान के अलावा पहली बार राजद अपने संगठन में अगड़ों को भी शामिल कर रही है.