डिफेंस एक्सपो विश्व में भारत की विस्तृत भागीदारी का सबूत: नरेन्द्र मोदी

लखनऊ । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को राजधानी में एशिया के सबसे बड़े ‘डिफेंस एक्सपो-2020’ का आगाज करके रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता पर जोर​ दिया। उन्होंने सरकार की सुलभ नीतियों, सुविधाओं और सुरक्षा का हवाला देते हुए विश्व जगत से रक्षा के क्षेत्र में निवेश का आह्वान किया। इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में भविष्य को लेकर भारत के लक्ष्य को सामने रखा। उन्होंने विश्व जगत में भारत की मजबूत उपस्थिति का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया में जब 21वीं सदी की चर्चा होती है तो स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ ध्यान जाता है। आज का ये डिफेंस एक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और विश्व में उसकी विस्तृत भागीदारी का सबूत है।

रक्षा उपकरणों के कारोबारियों के इस भव्य आयोजन में 70 से ज्यादा देशों की 1028 कंपनियां अपने उत्पादों और तकनीकों का प्रदर्शन कर रही हैैं। इनमें देश की 856 कम्पनियां और 172 विदेशी कंपनियां हैं। 39 देशों के रक्षा मंत्री भी आयोजन में शामिल हुए हैं। इस बार डिफेंस एक्सपो की थीम ‘भारत: उभरता हुआ रक्षा विनिर्माण केंद्र’ है।

आयोजन स्थल वृंदावन योजना के मुख्य हाल में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह देश के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के सांसद होने के नाते सभी का स्वागत करते हैं। आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप सामने आयेगा। यह भारत का सबसे बड़ा डिफेंस एक्सपो होने के साथ दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपो में से एक बन गया है। इस बार एक हज़ार से ज्यादा डिफेंस मैन्युफैक्चर्स और दुनियाभर से 150 कम्पनियों ने इस एक्स्पो का हिस्सा हैं। इसके अलावा 30 से ज्यादा देशों के डिफेन्स मिनिस्टर्स और सैकड़ों बिजनेस लीडर्स भी यहां उपस्थित हैं।

भारत सिर्फ बाजार नहीं विश्व के लिए अपार अवसर
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का ये अवसर भारत की रक्षा-सुरक्षा की चिंता करने वालों के साथ-साथ पूरे भारत के युवाओं के लिए भी बड़ा अवसर है। इसके जरिए मेक इन इंडिया से भारत की सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं डिफेंस सेक्टर में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। रक्षा और इकॉनोमी जैसे विषयों की जानकारी रखने वाले ज़रूर इस बात को जानते हैं कि भारत सिर्फ़ एक बाज़ार ही नहीं है। भारत पूरे विश्व के लिए एक अपार अवसर है।

तकनीक का गलत इस्तेमाल विश्व के लिए चुनौती

प्रधानमंत्री ने कहा कि टेक्नॉलॉजी का गलत इस्तेमाल हो और टेररिज्म हो या फिर साइबर खतरा, ये पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। नई सुरक्षा चुनौतियां को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नॉलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। आर्टिलरी गन्स, एयरक्राफ्ट कैरियर, सब्मरीन, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, कॉम्बैट हेलीकॉप्टर हों, ऐसे अनेक साजो-सामान आज भारत में ही बन रहे हैं। अब हमारा लक्ष्य ये है कि आने वाले पांच वर्ष में डिफेंस एक्सपोर्ट को पांच बिलियन डॉलर यानि करीब 35 हज़ार करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाए।

सिर्फ आयात के भरोसे नहीं रह सकता भारत

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी, दुनिया की दूसरी बड़ी सेना और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, कब तक सिर्फ और सिर्फ आयात के भरोसे रह सकता था। आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं अनुसंधान और विकास की उच्च क्षमता तथा उन शस्त्रों का उत्पादन हैं। बीते पांच छह वर्षों में हमारी सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उपयोगकर्ता और उत्पादक यानि यूजर और प्रोड्यूसर के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है।

डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में निजी सेक्टर की समस्या का समाधान

उन्होंने कहा कि पहले डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में प्राइवेट सेक्टर को टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत समस्याएं आती थीं। इसके लिए अब रास्ते खोले गए हैं और डीआरडीओ में भारतीय उद्योगों के लिए बिना चार्ज के प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण की नीति बनायी गई है। ऐसे कदमों से विश्व आपूर्ति चेन में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी। दुनिया के टॉप डिफेंस मैन्युफेक्चर्रस को अधिक कंपिटेंट इंडियन पार्टर्नर्स मिलेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के बनने से डिमांड और मैन्यूफैक्चरिंग की प्रक्रिया और आसान होने वाली है। इसका निश्चित लाभ डिफेंस सेक्टर्स से जुड़े उद्योगों को होगा और इस सेक्टर में इन्वेस्ट करने के इच्छुक आप सभी इन्वेस्टर्स को होगा।

रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई को 15 हजार के पार पहुंचाने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में दो बड़े डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें से एक तमिलनाडु में और दूसरा यहीं उत्तर प्रदेश में हो रहा है। यूपी के डिफेंस कॉरिडोर के तहत यहां लखनऊ के अलावा अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट और कानपुर में नोड्स स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यहां पास में ही अमेठी के कोरबा में इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के बारे में आपने जरूर सुना होगा। भारत में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग को और गति देने के लिए, और विस्तार देने के लिए नए लक्ष्य, नए टारगेट रखे गए हैं। हमारा लक्ष्य रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई की संख्या को अगले 5 वर्षों में 15 हजार के पार पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि आई-डेक्स के आइडिया को विस्तार देने के लिए, इसको स्केल-अप करने के लिए, 200 नए डिफेंस स्टार्टअप शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। कोशिश ये है कि कम से कम 50 नई तकनीकों और उत्पादों का विकास हो सके।

डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग के कॉमन प्लेटफॉर्म पर जोर
प्रधानमंत्री ने अपना सुझाव देते हुए कहा है कि देश की प्रमुख इंडस्ट्री बॉडीज को डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग का एक कॉमन प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए जिससे वह रक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के विकास और उत्पादन, दोनों का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि वाह़य अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति, पहले से ही मजबूत है और आने वाले वर्षों में ये और सशक्त होने वाली है। भारत की स्पेस टेक्नॉलॉजी 130 करोड़ भारतीयों को गवर्नेंस से लेकर रक्षा तक में अहम भूमिका निभा रही है।

इसरो और डीआरडीओ की तारीफ
प्रधानमंत्री ने कहा कि गर्व है कि इस मामले में भारत ने स्वदेशी तकनीक का विकास किया है। आज इसरो भारत के लिए, पूरी दुनिया के लिए, वाह़य अंतरिक्ष को एक्सप्लोर कर रहा है, तो भारत का डीआरडीओ इन ऐसेट्स को गलत ताकतों से बचाने के लिए रक्षा की दीवार खड़ी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत आज से नहीं बल्कि हमेशा से विश्व शांति का भरोसेमंद पार्टनर रहा है। दो विश्व युद्ध में हमारा डायरेक्ट स्टेक ना होते हुए भी भारत के लाखों जवान शहीद हुए। आज दुनियाभर में छह हज़ार से ज्यादा भारतीय सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का हिस्सा हैं।

भारत में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में असीमित संभावनाएं
उन्होंने कहा कि भारत में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में असीमित संभावनाएं हैं। यहां प्रतिभा और प्रौद्योगिकी भी है, यहां इनोवेशन है और इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है, यहां अनुकूल नीति है और विदेशी निवेशकी सुरक्षा भी है। यहां मांग है, लोकतंत्र है और निश्चितता भी है। प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्रालय और उत्तर प्रदश सरकार को इसके लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया से भारत की सुरक्षा बढ़ेगी वहीं डिफेंस सेक्टर में रोजगार का इजाफा होगा।

डिफेंस एक्सपो 23 एमओयू से 50 हजार करोड़ का होगा निवेश-योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डिफेंस एक्सपो हमारे के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया के लिए यह आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह आयोजन पूरे देश को सेेना के पराक्रम से अवगत करनेे का अवसर है। लखनऊ में इसका आयोजन होना बेहद महत्वपूर्ण है। हमारे लिए ये इसलिए बड़ा अवसर है क्योंकि प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर बनने जा रहा है। 25000 एकड़ के लैंड बैंक के साथ हमने इस दिशा में काम करना शुरू किया है। बेहतर कनेक्टिविटी और कानून व्यवस्था के कारण उत्तर प्रदेश बेहतर निवेश का स्थान बना है। डिफेंस एक्सपो ने इसे नई ऊंचाइयां दी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डिफेंस एक्सपो में 23 एमओयू यहां होने जा रहे हैं। इससे 50 हजार करोड़ का निवेश होगा। तीन लाख से अधिक रोजगार की सम्भावनाएं पैदा होंगी। हमारे पास एक्सप्रेस वे का नेटवर्क है। 11 नये एयरपोर्ट पर हम काम कर रहे हैं। रक्षा उत्पादों के साथ ही डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में ये आयोजन अहम भूमिका निभायेगा।

एक्सप्रेस-वे से लेकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की पर्याप्त सुविधा
उत्तर प्रदेश में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को इस वर्ष के अंत तक सामान्य जन के यातायात के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर भी कार्य प्रारंभ हो गया है और 2021 के अंत तक यह जनता के लिए खोल दिया जाएगा। मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए भी प्रदेश सरकार ने कार्य प्रारंभ कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए जेवर में नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए सभी औपचारिकताओं को पूर्ण कर कार्य आगे बढ़ाने और यहां निवेश की अन्य संभावनाएं तलाशने के लिए भी डिफेंस एक्सपो बहुत महत्वपूर्ण है। रक्षा सेवा में भारत की आत्मनिर्भरता की घोषणा करने और दुनिया में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग के एक महत्वपूर्ण हब के रूप में देश को स्थापित करने में भी ऐसे आयोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

भारत डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में आयेगा सामने: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ​ सिंह ने कहा कि लखनऊ में डिफेंस एक्सपो प्रधानमंत्री की सोच का परिणाम है। ये आयोजन डिफेंस एक्सपो के एक दशक के आयोजन में सबसे भव्य है। ये डिफेंस एक्सपो कई मायनों में पिछले आयोजन से अलग है। ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये भारत के विजन की अभिव्यक्ति है। ऐसा आयोजन पहले कभी नहीं किया है। यह नए भारत के विजन को दर्शाता है। आने वाले दिनों में भारत डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में सामने आयेगा।

उन्होंने कहा कि नए भारत के विकास के लिए ऐसे आयोजन सुनहरे भविष्य की ओर ले जाएंगे। हम अपनी स्वदेशी क्षमता बनाने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। हम मेक इन इंडिया के माध्यम से रक्षा उत्पादों को बनाने में आगे बढ़ रहे हैं। मैं समृद्ध और सांस्कृतिक विरासत वाले लखनऊ में सभी का स्वागत करता हूं। ये शहर तहजीब,नजाकत,नफासत के लिए जाना जाता है।अतिथि देवो भव: का यहां पालन​ किया जाता है। आप सबका होना हमारे लिए गौरव का​ विषय है।

इससे पहले रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाईक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डिफेंस एक्सपो में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान एयरोस्पेश मैन्युफैक्चरिंग हब पर केंद्रित एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन किया गया। सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ नौसेना, वायुसेना और थलसेना प्रमुख ने आयोजन स्थल वृंदावन योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। इससे पहले चौधरी चरण सिंंह एयरपोर्ट पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।

लखनऊ का एक्सपो अब तक सबसे बड़ा आयोजन है। यह लखनऊ में 200 एकड़ से अधिक जमीन पर हो रहा है जबकि चेन्नई में 80 एकड़ पर हुआ था। इस डिफेंस मेले में दुनियाभर के अत्याधुनिक हथियारों की प्रदर्शनी लगाई गई। दुनिया भर से आने वाले लोगों के लिए यहां टेंट सिटी बसाया गया है। एक्सपो में देश की 755 कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही हैं। इनमें 223 एमएसएमई सेक्टर की हैं।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भड़का तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक