यूपी : फर्जीवाड़े और दबंगई के फेर कई दिग्गज गंवा चुके है विधायकी, एक से बढ़कर एक है धुरंधर

योगेश श्रीवास्तव

लखनऊ। हाल ही में उन्नाव की बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गयी। उन्हे २० दिसंबर २०१९ से अयोग्य ठहराया गया है। उनकी सदस्यता सदस्यता समाप्त करने संबंधी अधिसूचना २५ फरवरी को जारी की गयी। जबकि इसके पहले हमीरपुर के विधायक अशोक सिंह चंदेल की सदस्यता वर्ष २०१९ में ६ जून को समाप्त की गयी है। भाजपा के इन दोनों सदस्यों को आपराधिक मामलों में आजीवन कारावास की सजा होने के बाद अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी। इससे पहले उच्च न्यायालय ने विधानसभा में समाजवादी पार्टी के सदस्य अब्दुल्ला आजम की सदस्यता समाप्त कर दी। उनकी सदस्यता समाप्त कराने का आधार निर्धारित आयुसीमा से पहले उनका विधायक चुना जाना है। उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ  यह फैसला उनके प्रतिद्वन्दी नवाब काजिम अली की याचिका पर दिया है। हालांकि अब्दुल्ला आजम को अयोग्य नहीं ठहराया गया है क्योंकि वे हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय चले गए है।

मौजूदा विधानसभा में अपनी सदस्यता गंवाने वाले कुलदीप सिंह सेगर दूसरे विधायक है इससे पूर्व भाजपा के विधायक अशोक सिंह चंदेल आपराधिक मामलें में सजायाफ्ता होने पर अपनी सदस्यता गंवा चुके है। अशोक सिंह चंदेल की रिक्त विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी हो चुका है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब न्यायालय के सजायाफ्ता होने  किसी सदस्य की विधायक खत्म की है। पिछली विधानसभा में चरखारी विधानसभा के सदस्य कप्तान सिंह राजपूत को हत्या के एक मामलें में सजायाफ्ता होने के बाद विधायकी से हांथ धोना पड़ा था। वे चरखारी से उमाभारती के इस्तीफा देने के बाद वहां हुए उपचुनाव में सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। इन सबसे पहले वर्ष २००२ में विधानसभा चुनाव में उदयभान सिंह संतरविदास नगर की औराई सीट से बसपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे विधायक उदयभान सिंह उर्फ डाक्टर सिह को तिहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। बाद में वर्ष २००५ में विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी।

सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व में एक साथ तेरह विधायकों की सदस्यता समाप्त की थी। तो पूर्ववर्ती विधानसभाओं में कई सदस्यों को दलबदल करने या फि र न्यायालय से सजा होने पर विधायकी से हांथ धोना पड़ा था। वर्ष 2007 में 11 फरवरी को दल बदल करने वाले जिन तेरह सदस्यों की सदस्यता समाप्त हुई थी उनमें सुरेन्द्र विक्रम सिंह,राजेन्द्र सिंह राणा,जयवीर सिंह,योगेश प्रताप सिंह,शैलेन्द्र यादव,जयप्रकाश यादव,कुंवर बृजेन्द्र प्रताप सिंह,राजेन्द्र सिंह चौहान,राजपाल त्यागी,नवाब काजिम अली,दिनेश सिंह,बीरेन्द्र सिंह बुन्देला,कुतुबद्दीन अंसारी शामिल थे। इनमें शामिल राजपाल त्यागी,राजेन्द्र सिंह राणा,योगेश प्रताप सिंह,बीरेन्द्र सिंह बुन्देला,शैलेन्द्र सिंह और दिनेश सिंह को विधायकी जाने के बाद मंत्री पदों से इस्तीफा भी देना पड़ा था। इससे पूर्व वर्ष 2006 में 19 अगस्त को तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने राज्य सभा के चुनाव में व्हिप का उल्लंघन करने पर समाजवादी पार्टी के चार विधायकों कल्याण सिंह दोहरे,ओमवती,सुंदरलाल और रतनलाल अहिरवार की सदस्यता समाप्त की थी।

इसी तरह वर्ष 2011 में 17 अक्तूबर को बसपा के सतीश वर्मा की,तथा पन्द्रहवीं विधानसभा के सदस्य भगवान शर्मा की भी वर्ष 2011 में13 नवंबर को दलबदल करने वाले शेरबहादुर सिंह 4 अक्तूबर को फ रीदमहफ ूज किदवई की 16 सितंबर को सदस्यता समाप्त की गयी थी। वर्ष 2011 में ही बसपा के दशरथ चौहान व जितेन्द्र कुमार की 19 नवंबर को सदस्यता समाप्त हुई थी।14वीं विधानसभा में आपराधिक मामलें में सजायाफ्ता होने पर रामभुआल निषाद,उदयभानु सिंह को सजा पर होने पर राज्यपाल की सिफारिश पर सदस्यता समाप्त हुई थी। पन्द्रहवीं विधानसभा में पेडन्यूज के आरोप में चुनाव आयोग की संस्तुति पर उमलेश यादव की सदस्यता समाप्त हुई थी। वर्ष 2015 ठेकेदारी के आरोप में चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्यपाल ने बसपा के उमाशंकर सिंह और भाजपा के बजरंग बहादुर सिंह की सदस्यता समाप्त किए जाने की सिफारिश की थी। राज्यपाल की सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश के खिलाफ उमाशंकर सिंह उच्च न्यायालय चले गए तो उनकी सदस्यता बच गयी जबकि बजरंग बहादुर सिंह की सदस्यता नहीं बच सकी।