वो अभिनेता जो अचानक आ गया अर्श से फर्श पर, मर्सडीज़ तक बिक गई, ऐसे हो गई थी जिंदगी…

बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना एक काफी संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे, उनके बारे में कहा जाता था कि उन्हें कारों का बहुत शौक था, उन दिनों मर्सिडीज एक स्टेटस सिंबल माना जाता था, अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही विनोद खन्ना ने मर्सिडीज कार खरीदी थी, कार खरीदने की खुशी में उन्होने रणधीर कपूर और शांति सागर को एक शूटिंग के बीच से ही बूढे आदमी के गेटअप में सफेद दाढी और विग लगाकर अपनी कार में लांग ड्राइव पर ले गये थे, विनोद खन्ना को सिर्फ कारों का ही शौक नहीं था, बल्कि जिंदगी भी वो काफी रईसी से जीते थे, मर्सिडीज से नीचे कभी दूसरी कार में सफर नहीं करते थे, लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा भी दौर आया, जब सारी रईसी खो गई, उन्हें टैक्सी में सफर करना पड़ता था।

बॉलीवुड के हैंडसम हीरो
एक विलेन के रुप में करियर की शुरुआत करने वाले विनोद खन्ना के हीरो बनने का सफर भी काफी दिलचस्प है, वो तेजी से सफलता की सीढियां चढ रहे थे, लोग मानने लगे थे कि वो अमिताभ बच्चन को भी पीछे छोड़कर आगे निकल जाएंगे, लेकिन तभी विनोद खन्ना के जीवन में अध्यात्म का प्रवेश हुआ, वो अध्यात्म गुरु रजनीश के प्रवचनों से काफी प्रभावित हुए, जिसके बाद बॉलीवुड छोड़ दिया।

ऑडियो कैसेट सुनते थे
कहा जाता है कि विनोद खन्ना रजनीश (ओशो) से इतने प्रभावित थे कि दिन -रात उनके ऑडियो कैसेट्स को रिकॉर्डर में बजाकर सुनते रहते थे, वो ना सिर्फ खुद सुनते थे, बल्कि दूसरों को भी ये कैसेट्स सुनाते थे, इसी बीच एक दिन अचानक उन्होने मीडिया को बुलाकर फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने का ऐलान कर दिया, तब कई फिल्म निर्माताओं के लाखों-करोड़ों रुपये विनोद खन्ना पर दांव पर लगे थे। लेकिन उन्होने किसी के बारे में नहीं सोचा और अपना फैसला सुना दिया।

पांच साल माली बनकर गुजारा
आचार्य रजनीश के टेपों के साथ वो इधर-उधर घूमते रहे, फिर एक दिन सबकुछ छोड़-छाड़ कर भगवान के पास जाने के लिये ऑरेगन (अमेरिका) की फ्लाइट पकड़ ली, करीब पांच साल तक विनोद खन्ना रजनीश को बगीचों की बागवानी करते हुए बिताये, इस दौरान उन्हें फिल्म इंडस्ट्री पूरी तरह से भूल चुका था, फिर अचानक बॉलीवुड एक्टर को रजनीश की अध्यात्म में कुछ कमी महसूस हुई, वो वापस अपनी छोड़ी हुई दुनिया में आ गये।

सबकुछ बदल चुका था
जब विनोद खन्ना वापस मुंबई लौटे, तो काफी कुछ बदल चुका था, उनकी पत्नी गीतांजलि ने अपने दोनों बेटों को अकेले ही बड़ा कर लिया था, तब उनके पास रहने के लिये मुंबई में घर भी नहीं था और ना ही पैसे थे, मर्सिडीज से नीचे किसी कार से नहीं चलने वाले विनोद खन्ना टैक्सियों में घूमते देखे जाने लगे, तब उन्हें महेश और मुकेश भट्ट ने सहारा दिया, महेश भट्ट खुद भी आध्यात्मिक गुरुओं के निकट रह चुके हैं, वो विनोद खन्ना की मनोस्थिति समझते थे, धीरे-धीरे कुछ समय के बाद विनोद को काम मिलने लगा। लेकिन तब तक अमिताभ बच्चन सुपरस्टार बन चुके थे, जबकि विनोद रेस से बाहर हो चुके थे, हालांकि ऐसा भी नहीं है कि आचार्य रजनीश को अलविदा कहने के बाद विनोद खन्ना की जिंदगी में आध्यात्म के लिये जगह खत्म हो गया था, रजनीश की तस्वीर हमेशा उनके घर में रही, लेकिन धीरे-धीरे आचार्य से बड़ी तस्वीर श्री श्री रविशंकर की लग गई।