-भाजपा के पहले सीएम जिन्होंने पूरे किए तीन साल
-दो बार सीएम रहने के बाद तीन साल पूरे नहीं कर पाए कल्याण
-साझा सरकार का नेतृत्व कर चुके राजनाथ दो साल भी पूरा नहीं सके
योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इतिहास रचने की ओर अग्रसर है। 19 मार्च को अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे करने जा रहे है। वर्ष 2017 के हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 312 सीटे मिली थी यह पहला मौका था कि यूपी में भाजपा को इतना प्रचंड बहुमत मिला था। इससे पहले वर्ष 1991 में भाजपा को बहुमत मिला था। उस समय भाजपा क ो विधानसभा की 425 सीटों में उसे 221 सीटे मिली थी। तब भाजपा के फायरब्रांड नेता कहे जाने वाले कल्याण ङ्क्षसह ने प्रदेश की कमान संभाली थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा को 2017 से पहले 1991 में पूर्णबहुमत की सरकार बनाने का पहली बार मौका मिला था। पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बावजूद कल्याण सिंह अपने कार्यकाल के दो साल भी पूरा नहीं कर पाए थे। अयोध्या मे विवादित ढांचा ढहने के बाद उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था।
6 दिसंबर 1992 को उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था बता दे यूपी के साथ ही मध्यप्रदेश,राजस्थान,हिमांचल प्रदेश की भी सरकार बर्खास्त हुई थी। कल्याण सिंह ने भाजपा के पहले मुख्यमंत्री के रूप में 24 जून 1991 को शपथ ली थी। मंत्रिमंडल गठन के साथ ही तीन साल पूरा करने की ओर अग्रसर योगी आदित्यनाथ ने जहां तीन साल पूरा करके एक रिकार्ड बना लिया है। अपने कार्यकाल के शेष दो साल यदि वे पूरा करते है तो प्रदेश में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री होंगे जो अपने कार्यकाल के पांच साल पूरा करेंगे।
भाजपा के तीसरे और मुख्यमंत्रियों के रूप में 21वीं पायदान पर योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने से पहले कभी विधानमंडल के किसी सदन का मुंह नहीं देखा था वे इस समय भी मुख्यमंत्री के रूप विधानपरिषद सदस्य की हैसियत ने नेता सदन का दायित्व संभाल रहे है। योगी से पहले राजनाथ और उनसे पहले भाजपा के बुजुर्ग नेता रामप्रकाश गुप्ता को प्रदेश के नेतृत्व का मौका मिला। 1991 के बाद 1997 में भाजपा-बसपा गठबंधन के चलते 21 सितंबर 1997 को मुख्यमंत्री के रूप मे शपथ ली। यह कार्यकाल उनका 12 नवंबर 1999 तक रहा। गठबंधन सरकार और भारीभरकम मंत्रिमंडल होने के बाद भी कल्याण सिंह अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे नहीं कर पाए और भाजपा नेतृत्व से पंगा होने पर उन्हे हटाकर रामप्रकाश गुप्ता को प्रदेश की कमान सौंपी गयी।
छहत्तर वर्ष की उम्र की मुख्यमंत्री बने रामप्रकाश गुप्ता 12 नवंबर 1999 को मुख्यमंत्री बने लेकिन वे अपने कार्यकाल का एक साल भी नहीं पूरा कर पाए और 28 अक्तूबर 2000 को उन्हे पद से हटा कर मध्यप्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया। रामप्रकाश गुप्त के बाद प्रदेश की कमान भाजपा नेतृत्व ने राजनाथ सिंह को सौंपी। 28 अक्तूबर 2000 को ही उन्हे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गयी। उनका कार्यकाल 8 मार्च 2002 तक रहा। भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में राजनाथ सिंह भी अपने कार्यकाल के दो साल भी पूरे नहीं कर पाए।