मां तवायफ और बाप पंजाबी कारोबारी, ऐसे जन्मी थी ये मशहूर अभिनेत्री

अगर हम बॉलीवुड जगत की बात करे तो इस फ़िल्मी दुनिया में ऐसी कई अभिनेत्रियां है, जिनके स्टाइल और लुक या उनके अंदाज को लोग बेहद पसंद करते है. जी हां यहाँ तक कि कुछ लोग तो अपने लुक को एकदम इनकी तरह ही बना कर रखना पसंद करते है. बरहलाल आज हम एक ऐसी ही अभिनेत्री के बारे में बात करने वाले है, जो भले ही आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन फिर भी लोग इनके अंदाज को बखूबी पसंद करते थे. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हम यहाँ किसी और अभिनेत्री की नहीं बल्कि नरगिस की बात कर रहे है. जी हां नरगिस बीते जमाने की वो अभिनेत्री है, जिनके पोस्टर्स आज भी आपको लोगो की घरो की दीवारों पर लगे हुए नजर आएंगे.

अब क्या करे, इनका अंदाज और इनकी एक्टिंग ही इतनी दमदार थी कि कोई भी इन्हे पहली नजर में देख कर ही इनका फैन हो जाता था. गौरतलब है कि नरगिस दत्त दिखने में जितनी सुंदर थी, उतनी ही मासूम भी थी. अब यूँ तो नरगिस दत्त के जीवन के बारे में आप लोग काफी कुछ जानते है, लेकिन आज हम आपको नरगिस के जीवन से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताने वाले है, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे. गौरतलब है कि यह काफी पुराना किस्सा है, जब एक अमीर घर का लड़का जिसका नाम मोहन था, वो डॉक्टर बनने के लिए कलकत्ता से पानी के जहाज द्वारा लंदन जा रहा था. हालांकि अब कलकत्ता का नाम बदल कर कोलकाता हो चुका है. बरहलाल तब जहाज आने में काफी समय था. जिसके तहत वह युवक कलकत्ता शहर घूमने के लिए निकल पड़ा.

गौरतलब है कि शहर घूमते घूमते, इत्तेफाक से वो जड्न बाई के नाम से मशहूर एक तवायफ के कोठे पर जा पहुंचा. बरहलाल जड्न बाई के गीत सुन कर मोहन कुछ इस तरह से उन पर मोहित हो गया, कि वो सच्चे दिल से उन्हें प्रेम करने लगा. इसके बाद जद्दनबाई ने मोहन को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मोहन ने जद्दनबाई से शादी करने का मन बना लिया था. वैसे आप सोच रहे होंगे कि इस पूरी कहानी में नरगिस दत्त का नाम तो कही शामिल ही नहीं था. तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मोहन और जद्दनबाई को शादी के बाद जो बेटी पैदा हुई, वो कोई और नहीं बल्कि नरगिस ही थी. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो नरगिस दत्त इन दोनों के प्रेम की निशानी थी.

वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अभिनेत्री बनने से पहले नरगिस अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन अपनी माँ की डूबती हुई फिल्म कंपनी को नुक्सान से बचाने के लिए उन्होंने अभिनय करना शुरू कर दिया. बरहलाल अभिनय की दुनिया में कदम रखने के बाद लोगो पर उनका जादू किस कदर सर चढ़ कर बोला, इससे तो सब अच्छी तरह से वाकिफ है.

इसके इलावा ऐसा कहा जाता है कि राज कपूर नरगिस को बेहद प्रेम करते थे. यहाँ तक कि नरगिस उनकी फिल्मो की आत्मा हुआ करती थी. जी हां तभी तो आर. के. फिल्म्स का प्रतीक चिन्ह भी राज कपूर और नरगिस की फिल्म के एक प्यार भरे दृश्य को बनाया गया. अब यूँ तो नरगिस भी राज कपूर से प्रेम करती थी, लेकिन वो शादीशुदा थे और उनके बच्चे भी थे. जिसके कारण नरगिस दत्त ने कभी अपने और राज कपूर के रिश्ते को आगे नहीं बढ़ने दिया और उन्होंने सुनील दत्त से शादी कर ली. वैसे आपको जान कर ताज्जुब होगा कि जिस दिन नरगिस ने इस दुनिया को अलविदा कहा था, ठीक उसी दिन राज कपूर ने भी इस दुनिया को अलविदा कहा था.

जी हां, नरगिस का निधन तीन मई 1981 को हुआ था और उसके ठीक सात साल बाद तीन मई को ही राज कपूर का निधन हुआ था. शायद इसे ही भगवान् की माया कहते है.