अमिताभ बच्चन की जिंदगी का अनसुना किस्सा, सांड ने जब उनको उठा कर पटका

अमिताभ बच्चन का पूरा नाम दरअसल अमिताभ श्रीवास्तव है. लेकिन हरिवंश राय बच्चन के प्रसिद्ध कवि बन जाने के बाद उनकी मां तेजी बच्चन ने अपने दोनों बेटों का सरनेम बदल कर बच्चन ही कर दिया. श्रीवास्तव परंपरा के अनुसार अमिताभ का  मुंडन संस्कार विंध्य पर्वत पर देवी की प्रतिमा के आगे बकरे की बलि के साथ होना चाहिए था, मगर बच्चन जी ने ऐसा कुछ नहीं किया. दुर्योग देखिए कि बालक अमित के मुंडन के दिन ही एक सांड उनके द्वार पर आया और अमित को पटकनी देकर भाग  गया. जिससे उनके  सिर में गहरा जख्म हुआ था और कुछ टाँके भी लगे थे. वे इतना ज़रूर कहते हैं कि यह भिड़ंत उनकी उस सहनशक्ति का ‘ट्रायल रन’ थी, जिसे उन्होंने अपनी आगे की ज़िदगी में विकसित किया.

बच्चन जी के एक प्राध्यापक मित्र ‘अमरनाथ झा’ ने सुझाव दिया था कि भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि में जन्मे बालक का नाम ‘इंकलाब राय’ रखना बेहतर होगा, इससे परिवार के नामकरण शैली की परंपरा भी क़ायम रहेगी. झा ने इसी तरह बच्चन जी के दूसरे पुत्र अजिताभ का नाम देश की आज़ादी के वर्ष 1947 को देखते हुए ‘आज़ाद राय’ रखने का सुझाव दिया था. लेकिन कवि सुमित्रा नंदन पन्त   ने उनका नाम अमिताभ रखा और छोटे भाई का नाम  ‘अजिताभ’ रख दिया .” कालांतर में माता-पिता के लिए अमिताभ सिर्फ़ ‘अमित’ रह गए  और उनकी माता उन्हें ‘मुन्ना’ कहकर पुकारती थीं.

बचपन में ढाई साल की उम्र में अमिताभ लाहौर रेलवे स्टेशन पर अपने माता-पिता से बिछड़कर ओवरब्रिज पर पहुँच गए थे, जब वे अपने नाना के घर मीरपुर जा रहे थे. इस बिछोह के समय तेजी टिकट लेने गई थीं और अमित पिता का हाथ छूट जाने से भीड़ में खो गए थे.

इसी के बाद बच्चन दंपति ने पहली बार अपने बेटे को सीख दी थी कि माता-पिता को बताए बगैर बच्चों को कहीं नहीं जाना चाहिए.