
लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव चरम पर है. दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर दी है. भारत ने इस इलाके में चीन को कई मोर्चे पर तगड़ी शिकस्त दी है. पेंगोंग झील की ऊंचाई वाली महत्वपूर्ण चोटियों पर भारत ने कब्जा कर लिया है. चीन बौखलाया हुआ है. लेकिन भारत ने ऐसी नकेल कसी है कि युद्ध की धमकी देने वाला चीन अब सहमति का राग अलाप रहा है.
चीन ने दावा किया है कि भारत ने 5-पॉइंट सहमति लागू करने पर रजामंदी जताई है जो मॉस्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच कायम की गई थी. भारत-चीन सीमा के मुद्दों पर वर्किंग मकैनिज्म फॉर कंसल्टेशन ऐंड कोऑर्डिनेशन पर चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर जानकारी दी है.
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 30 सितंबर, 2020 को मकैनिज्म फॉर कंसल्टेशन ऐंड कोऑर्डिनेशन की 19वीं मीटिंग वीडियो के जरिए की गई. दोनों पक्षों ने खुलकर और गहराई से चीन और भारत के सीमाक्षेत्र में हालात पर विचारों पर चर्चा की. दोनों ने मॉस्को में विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति को लागू करने पर रजामंदी जताई. इसके साथ ही सीमा से जुड़े मुद्दों पर सहमति का पालन करने और बेहतर हालात के लिए कदम उठाने पर स्वीकृति कायम की.
चीनी विदेश मंत्रालय को शांत करने और जटिल करने वाले ऐक्शन न करने पर रजामंदी जताई गई. दोनों पक्षों ने छठे राउंड की कमांडर स्तर की बातचीत के नतीजों का आकलन किया और सैन्य-कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कायम रखने पर सहमति बनाई. जल्द से जल्द सातवें राउंड की बातचीत करने का फैसला भी किया गया और बेहतर तरीके से जमीनी हालात सुलझाने पर सहमति भी कायम की गई.
इससे पहले भारत ने चीन के इस दावे को सिरे के खारिज कर दिया था कि बीजिंग वास्तविक नियंत्रण रेखा की अवधारणा पर 1959 के अपने रुख को ही मानता है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने 1959 में ‘एकतरफा रूप से’ परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा को कभी स्वीकार नहीं किया है और चीनी पक्ष सहित सभी इस बारे में जानते हैं. मंत्रालय ने उम्मीद व्यक्त की कि पड़ोसी देश तथाकथित सीमा की ‘अपुष्ट एकतरफा’ व्याख्या करने से बचेगा.