अधिवक्ताओं ने उड़ाई न्यायालय में फर्जी कहानी बनाने वाली नगीना पुलिस की धज्जियां

शहजाद अंसारी
बिजनौर। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों पर नगीना पुलिस द्वारा गंभीर धराओं में मुकदमा पंजीकृत होने के बाद जेल में बंद आरोपियों की जमानत विद्धान न्यायधीश द्वारा मंजूर कर ली गई। न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा रस्सी का अजगर बनाने वाली नगीना पुलिस की फर्जी कहानी की धज्जियां उड़ा दी गई जिसके लगभग एक माह बाद पुलिस द्वारा पकड़े गये आरोपियों को जमानत मिलने से जहां नगर के लोग न्याय की जीत बताते हुए राहत महसूस कर रहे हैं वहीं बाकी बचे आरोपियों की जमानत होने की भी उम्मीद बढ़ गई है।

गत 20 दिसम्बर को जनपद बिजनौर के नगीना में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोगों में से 83 लोगों को नामजद व 150 अज्ञात के विरूद्ध धारा 147, 148, 149, 186, 188, 323, 307, 332, 336, 353, 427 आईपीसी व 7 लॉ क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट व 2/3 सार्वजनिक संपत्ति क्षति अधिनियम के अर्न्तगत नगीना कोतवाल राजेश कुमार तिवारी ने वादी बनकर संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया था। नगर के लोगों के विरोध के बावजूद 79 लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया था। पुलिस द्वारा लोगों पर मुकदमा कायम करने के लिये बनाई गई कहानी किसी के भी गले नहीं उतर रही थी। लेकिन नगीना पुलिस अपनी मनमानी पर तुली थी

एक माह से अधिक हो जाने के बावजूद संगीन धाराओं के कारण पकड़े गये आरोपियों की जमानत नहीं हो पा रही थी वरिष्ठ अधिवक्ता आरिफ खां एवं प्रेम कुमार शर्मा ने पुलिस द्वारा बनाई गई कहानी की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी दलीलें दी कि जानलेवा हमले के बावजूद अभी तक पुलिस द्वारा कथित तंमंचे को बरामद नहीं कर पाई न ही यह पता कर पाई कि कथित तंमंचे से किसने पुलिस पर गोली चलाई।

वहीं पुलिसकर्मियों के मेडिकल में साधारण प्रकृति की चोटों ने पुलिस की कहानी की पोल खोल दी। जबकि रिपोर्ट 307 की लिखी गई। विद्वान अधिवक्ताओं के तर्को से संतुष्ट होते हुए विद्वान न्यायाधीश एडीजे प्रथम संजीव पाण्डे ने आरोपियों की जमानत याचिका कुछ शर्तो के साथ मंजूर कर ली जिससे जहां नगर के लोग न्याय की जीत बताते हुए राहत महसूस कर रहे है। वहीं बाकी बचे आरोपियों की जमानत होने की भी उम्मीद बढ़ गई है। वही फर्जी कहानी बनाकर प्रदर्शनकारियों पर धारा 307 लगाने वाले मुकदमे में वादी बने नगीना कोतवाल राजेश कुमार तिवारी के कारनामें से नगर में पुलिस के प्रति काफी आक्रोश है।

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