जम्मू कश्मीर के स्कूलों में सूर्य नमस्कार को बंद कराने की अपील, जानिए क्यों?

जम्मू कश्मीर में इस्लामी धार्मिक और शैक्षिक संगठनों के ग्रुप मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (MMU) ने स्कूलों में भजन और सूर्य नमस्कार को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने प्रशासन और शिक्षा विभाग से इसे रोकने का आग्रह किया है। संगठन का कहना है कि यह मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा है।

महबूबा मुफ्ती ने शेयर की थी वीडियो

MMU का यह बयान एक वीडियो के वायरल होने के बाद आया है, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के एक सरकारी स्कूल के छात्र ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाते दिख रहे हैं। इसे जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी शेयर किया था।

महबूबा ने वीडियो के कैप्शन में लिखा था- धार्मिक विद्वानों को जेल में डालना, जामा मस्जिद को बंद करना और यहां स्कूली बच्चों को हिंदू भजन गाने के लिए निर्देशित करना कश्मीर में भारत सरकार के असली हिंदुत्व एजेंडे को उजागर करता है। उनके आदेशों को नकारना PSA और UAPA को बुलावा देना होगा। यह वह कीमत है जो हम इस बदलते जम्मू-कश्मीर के लिए चुका रहे हैं।

MMU ने कहा- प्रशासन के फरमान से लोग नाराज

MMU ने शनिवार को श्रीनगर के जामा मस्जिद में एक बैठक की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें MMU ने कश्मीर की मुस्लिम पहचान को कमजोर करने के प्रयास पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। बैठक में कहा गया कि घाटी के स्कूलों में योग और सुबह की प्रार्थना के नाम बच्चों से भजन गवाने वाला फरमान मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा है। यह मान्यता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। इससे लोगों में नाराजगी है।

MMU की अपील- प्रशासन अपने आदेशों को तुरंत वापस ले

MMU ने प्रशासन, शिक्षा विभाग और संबंधित एजेंसियों से आग्रह किया है कि कश्मीर में मुसलमानों की ओर से इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने इसे धार्मिक और इस्लामी मान्यताओं के लिए सीधी चुनौती कहा है। MMU ने बयान में कहा है कि प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से अपील है कि वह अपने आदेशों को तुरंत वापस ले लें और स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में इन प्रथाओं को बंद कर दें।

MMU ने अभिभावकों से यह भी अपील की है कि यदि उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में गैर-इस्लामिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वे बच्चों को इन स्कूलों से निकाल लें और उन्हें प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाएं।

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