औरैया : ग्राम पंचायतों की जमीनी हकीकत देखने पर सरकारी आंकड़े साबित हुए खोखले

औरैया । औरैया जिले में ग्राम विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा शासन को ओडीएफ की गलत रिपोर्ट एवं फर्जी आंकड़े देकर ग्राम पंचायतों को ओडीएफ तो घोषित करा दिया गया है लेकिन ग्राम पंचायतों की जमीनी हकीकत देखने पर यह सरकारी आंकड़े पूरी तरह खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं और आलम यह है कि ग्राम पंचायतों में आज तक 70 से 75 फीसदी आबादी खुले में शौच करने को मजबूर है। शासन द्वारा जिले की जिन 10 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित करने के साथ ग्राम पंचायतों को मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार के तहत प्रति ग्राम पंचायत 1100000 रुपए की धनराशि से पुरुस्कृत किया गया है उन ग्राम पंचायतों में भी 60 से 70 फीसदी तक आबादी खुले में शौच करती नजर आ रही है। जिससे संबंधित अधिकारियों की मनमानी की पोल खुल रही है।

खुले में शौच को हो रहे लोग मजबूर

वहीं अधिकारियों की नियत पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। शासन द्वारा हर घर शौचालय का नारा देकर खुले में शौच बंद कराने को लेकर शौचालय बनवाए जाने का अभियान चलाया गया लेकिन औरैया जिले में अधिकांश ग्राम पंचायतों में यह शौचालय अभियान ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों व प्रधानों की मिलीभगत से घोटाले की भेंट चढ़ कर रह गया है। वैसे तो शासन द्वारा लाभार्थी के खाते में पैसा भेजने की व्यवस्था निर्धारित थी लेकिन अधिकांश प्रधानों व ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा लाभार्थियों के खातों में पैसा डाल कर निकलवा कर या अधिकारियों से सांठगांठ कर सीधा अपने कब्जे में कर निर्धारित मानक के अनुसार निर्माण सामग्री का प्रयोग न करने के साथ घटिया निर्माण सामग्री से मानक विहीन शौचालयों का स्वयं निर्माण करा कर सरकारी धनराशि का बड़े पैमाने पर बंदरबांट कर लिया गया है।

यही नहीं तमाम पंचायतों के प्रधानों व सचिवों द्वारा लाभार्थी के खाते में तो पैसा डाला गया लेकिन उससे पैसा डलवाने के बाद या पहले ही अपनी निर्धारित सुविधा शुल्क की धनराशि लाभार्थी से ले ली गई। जिससे काफी कम पैसे के कारण शौचालय बनाने की सिर्फ खानापूर्ति ही हो सकी है और ऐसे में यह शौचालय शौच लायक नहीं रहे बन सके हैं।इतना ही नहीं कुछ ग्राम पंचायतों तो ऐसी भी हैं जहां लाभार्थियों के नाम से पैसा निकाल लिया गया लेकिन आज तक उनके शौचालय नहीं बने है। सबसे दिलचस्प और गौरतलब बात तो यह भी है कि जिले के संबंधित अधिकारियों द्वारा हर घर शौचालय बनवाने के शासन को फर्जी रिपोर्ट एवं गलत आंकड़े भेजकर ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त ओडीएफ तो घोषित करा दिया गया है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ग्राम पंचायतों में 70 से 75 फीसदी आबादी आज तक खुले में शौच करने को मजबूर है।

यही नहीं वर्ष 2022 में ओडीएफ घोषित हुई जिले की 83 ग्राम पंचायतों द्वारा मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए आवेदन किया गया था जिसमें 10 ग्राम पंचायतों को चयनित किया गया जिसमें विकासखंड बिधूना की असजना डोंडापुर विकासखंड औरैया की बमुरीपुर चिरुहली विकासखंड भाग्यनगर की बूढादाना व सल्हापुर अजीतमल की बिरुहनी अजुआ बैरी धनगर विकास खंड सहार की तैयापुर शामिल है। इन प्रत्येक ग्राम पंचायत को 1100000 रुपए की धनराशि से पुरस्कृत किया गया है लेकिन पुरस्कृत हुई इन ग्राम पंचायतों में भी 60 से 70 फ़ीसदी आबादी आज तक खुले में शौच करने को मजबूर दिख रही है जिसे जहां अधिकारियों द्वारा शासन को भेजे गए फर्जी आंकड़ों की पोल खोल रही है वही अधिकारियों की नियत पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

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