मंदिर निर्माण के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है धर्मसभा

अयोध्या । सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त के बीच विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की आज हो रही धर्मसभा राम मंदिर निर्माण के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। विश्व हिन्दू की धर्मसभा बड़ा भक्त म​हल बगिया में आज 11 बजे से शुरु होगी, जो सायं 4 बजे तक चलेगी।
विहिप ने वाहनों के पार्किंग के लिए चिन्हित 13 पार्किंग स्थल बनाये गये हैं, जो अयोध्या से 500 मीटर दूरी पर हैं। इस धर्मसभा में करीब 2 लाख राम भक्तों के आने का अनुमान है। धर्मसभा को लेकर हजारों की संख्या में बसे पहुंची हैं, अयोध्या में चार पहिया वाहन और मोटरसाइकिल से भी रामभक्त पहुंच रहे हैं। ये सभी वाहन कार्यक्रम स्थल से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर रोके जा रहे हैं।

धर्मसभा को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे जुड़े तमाम संगठन के पदाधिकारियों ने यहां कई दिन से डेरा डाल रखा है। धर्मसभा में आने वाले साधु संत मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर दबाव बना सकते हैं। साधु-संत उच्चतम न्यायालय को जन भावनाओं से अवगत कराने की कोशिश भी कर सकते हैं।
धर्मसभा के विशाल मंच पर श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, राम जन्मभूमि मुकदमे के पैरोकार धर्मदास, दिगंबर अखाड़ा के महंत और राम जन्मभूमि आंदोलन के शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्र दास के उत्तराधिकारी सुरेश दास, अयोध्या के ही कौशल किशोर दास, राम वल्लभा कुंज के राजकुमार दास, हनुमानगढ़ी के संत राजू दास समेत करीब 50 साधुओं के मौजूद रहने की संभावना है।

सूत्रों की मानें तो विश्व हिंदू परिषद के धर्मसभा में करीब 25 सांसद शामिल होंगे। कई जगहों के विधायक भी पहुंचे हैं। योगी सरकार के कुछ मंत्रियों के भी अयोध्या में डेरा डालने की खबर है।
मंच पर ही विहिप और आरएसएस के कई पदाधिकारी भी रहेंगे। राम मंदिर निर्माण के लिए 06 दिसंबर 1992 के बाद सबसे बड़े आयोजन धर्म सभा में परमहंस रामचंद्र दास अशोक सिंघल और महंत अवैद्यनाथ की गैरमौजूदगी लोगों के बीच चर्चा का विषय है। राम मंदिर आन्दोलन को खड़ा करने में इन तीनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और अब यह तीनों ही इस दुनिया में नहीं हैं।

परिषद ने अयोध्या के साथ ही बेंगलुरु और शिवसेना के गढ़ मुंबई में भी धर्मसभा का आयोजन किया है। धर्मसभा के लिए किए गए सुरक्षा प्रबंधों ने अयोध्या वासियों को 1992 की याद ताजा कर दी है। 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया था। उस समय भी हजारों सुरक्षाकर्मियों के हवाले अयोध्या थी। लेकिन कारसेवकों ने अपना काम कर दिया था।

धर्मसभा में शामिल होने के लिए रात से ही राम भक्तों के यहां पहुंचने का तांता लगा हुआ है। कार्यक्रम स्थल हालांकि अयोध्या शहर से बाहर भक्तमाल की बगिया में आयोजित है। लेकिन राम भक्तों का परिक्रमा मार्ग पर स्थित धर्म सभा स्थल पहुंचने में लोगों को कोई दिक्कत नहीं हो रही है। आयोजकों ने ऐसी व्यवस्था की है कि धर्मसभा मे आने वाले लोगों को कोई असुविधा न हो।

धर्मसभा के आयोजन में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भी लगी हुई है। इसके बावजूद प्रशासन बहुत ही फूंक कर कदम रख रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन पूरी तरह सतर्क नजर आ रहा है। श्रीरामजन्मभूमि और उसके आसपास अधिग्रहीत परिसर के संबंध में उच्चतम न्यायालय के यथा स्थिति के आदेश को पालन करवाने के लिए प्रशासन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। प्रशासन को आशंका है कि अयोध्या में मौजूद शिवसैनिक या धर्म सभा में आए लोग कहीं समूहों में राम जन्मभूमि पहुंचकर वहां कोई गड़बड़ी न कर दें। सुरक्षा में तैनात अधिकारी इसका पूरा ध्यान रख रहे हैं।
इस बीच अयोध्या के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र सिंह ने बताया कि सुरक्षा में कोई कमी नहीं है। उनका कहना था कि संवेदनशील स्थलों पर आतंकवादी निरोधक दस्ते एटीएस के कमांडो भी तैनात किए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

अयोध्या और कार्यक्रम की संवेदनशीलता को देखते हुए इस धर्म नगरी को अभेद्य दुर्ग में परिवर्तित कर दिया गया है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान और अधिकारी तैनात हैं। राम जन्मभूमि और उसके आसपास अधिग्रहीत परिसर की सुरक्षा में चार कंपनी केंद्रीय रिजर्व पुलिस और 12 कंपनी पीएसी के साथ ही करीब 500 सिविल पुलिस के जवान तैनात रहते हैं। लेकिन शिवसेना के कार्यक्रमों और धर्मसभा को देखते हुए 42 कंपनी पीएसी तथा 6 कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती अतिरिक्त रूप से की गई है।

इन कार्यक्रमों की वजह से अयोध्यावासियों को कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। पुलिस की टोका टाकी और सार्वजनिक वाहनों के नहीं चलने की वजह से यहां के लोग काफी परेशान हैं। हनुमानगढ़ी के पास अपनी क्लीनिक चलाने वाले डॉ रमेश तोमर ने हिन्दुथान समाचार से कहा कि कल शाम उनके एक मरीज को क्लीनिक तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई। बड़ी मुश्किल से पुलिस वालों से मिन्नते करते हुए वह उनके पास पहुंच सका। उसकी हालत ठीक नहीं थी। शासन प्रशासन को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि अयोध्या में कोई गड़बड़ी भी ना हो और स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की दिनचर्या में कोई खलल भी ना पड़े।

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