पयागपुर/बहराइच l शुक्रवार को सुख समृद्धि और उल्लास के पर्व लोहड़ी को उत्साह एवं उमंग पूर्वक स्थानीय गुरुद्वारे में मनाया गया l
लोहड़ी क्यों मनाया जाता है – मकर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाने वाला पर्व है लोहड़ी | लोहड़ी का अर्थ है – ल (लकड़ी)+ ओह (गोहा यानी सूखे उपले)+ ड़ी (रेवड़ी). इस पर्व के 20-25 दिन पहले ही लोग ‘लोहड़ी’ के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं; फिर इकट्ठी की गई सामग्री को चौराहे/मुहले के किसी खुले स्थान पर रखकर आग जलाते हैं | इस उत्सव को पंजाबी समाज बहुत ही संजीदा होकर मनाता है |
गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में इसको भेंट किया जाता है जिसे ‘चर्खा चढ़ाना’ कहते हैं | इस अवसर पर बालेंद्र श्रीवास्तव, चमन,सरदार मनदीप, अमन, गुरभेज सिंह,बंटी सिंह सहित सिख समुदाय के साथ स्थानीय लोग भी उपस्थित रहे l