बरेली: चर्चित एआरटीओ सस्पेंड, वाहनों के अधिग्रहण के मामले में फंसे डीएम की रिपोर्ट पर कार्रवाई

बरेली। लोकसभा चुनाव के लिए वाहनों के अधिग्रहण के मामले में लापरवाही बरत रहे विवादित व चर्चित एआरटीओ प्रवर्तन राजेश कर्दम को निलंबित कर दिया गया है। डीएम की एक रिपोर्ट पर प्रमुख सचिव परिवहन वेंकटेश्वर लू ने एआरटीओ को निलंबित किया। विवादों से घिरे रहे एआरटीओ पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार आलोक गुप्ता सिटिल के साथ एक विवाद को लेकर भी चर्चा में आये थे। उन्होंने एक मामले में मुकदमा दर्ज कराया था, जो उनके आरोप थे, वह बाद में साबित नहीं हो सके। फिलहाल एआरटीओ को परिवहन आयुक्त के कार्यालय से सम्बद्ध् किया गया है।

लोकसभा चुनाव संपन्न कराने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से परिवहन विभाग से पांच हजार से अधिक वाहनों का अधिग्रहण करने के लिए कहा था। वाहनों का अधिग्रहण करने के लिए परिवहन विभाग की तरफ से बड़ी लापरवाही बरती गई। जिला प्रशासन के आदेश को ठन्डे बस्ते में डालना एआरटीओ राजेश कर्दम को महंगा पड़ गया उन्होंने जिले के निजी वाहन मालिकों को भी नोटिस जारी कर दिए गए थे, लेकिन समय अवधि में वाहनों का अधिग्रहण नहीं कर पाए, मामले की शिकायत डीएम रविंद्र कुमार के पास भी पहुंची थी। इसके बाद डीएम ने राजेश कर्दम के खिलाफ रिपोर्ट बनाकर परिवहन विभाग के मुख्यालय भेजी थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए शासन स्तर से तत्काल कार्यवाही की गई।

परिवहन मंत्री से शिकायत के बाद हुआ बड़ा एक्शन

वरिष्ठ पत्रकार आलोक गुप्ता सिटिल के साथ एक मामले में विवाद में आये एआरटीओ के मुद्दे पर बीती 18 अप्रैल को एक प्रतिनिधिमंडल ने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह से भी मुलाकात की थी। एआरटीओ राजेश कर्दम के बारे में विस्तार से बताया गया था। वरिष्ठ पत्रकार आलोक गुप्ता सिटिल ने यह भी बताया था कि जिलाधिकारी बरेली ने उनके खिलाफ एक पत्र शासन में भेज रखा है जिसके बाद तत्काल परिवहन मंत्री ने कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए थे।

जिले में 6 साल रुकने के लिए हुआ बड़ा खेल

एआरटीओ राजेश कर्दम फिरोजाबाद से मुख्यालय अटैच किए गए थे फिरोजाबाद से ही इनकी सैलरी निकल रही थी मुख्यालय से बरेली ट्रांसफर हो नहीं सकता था अगर अटैच थे तो फिर वापस फिरोजाबाद ही जाना था, मिड सेशन में ट्रांसफर नहीं है, मिड सेशन में फिरोजाबाद से बरेली ट्रांसफर किया गया है उसका आदेश नहीं है, मिड सेशन में यदि ट्रांसफर होता है तो फाइल अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के यहां जाती है, अनुमोदन नहीं लिया गया। सचिव स्तर से खेल कर उन्हें बरेली भेज दिया गया, बरेली जिले में ही उनके लगभग 6 साल हो चुके हैं जबकि नियम 3 साल का है।

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