
सत्रहवीं लोकसभा का चुनावी महासमर सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई के बीच होगा और सभी सीटों के लिए मतगणना 23 मई को की जायेगी। आँध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की विधानसभाओं के चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ होंगे लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव राज्य की सुरक्षा स्थिति को देखते हुए अभी नहीं कराये जायेंगे
। चुनावी महाकुंभ का आज बिगुल बजते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है। बताते चले लोक सभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपना चुनावी अभियान और तेज़ी से कर दिया है. इस बीच भाजपा के सामने एक बड़ी समस्या आ रही है. बताते चले मतदान की तारीखों का ऐलान होने के बाद अब पार्टियों का पूरा फोकस टिकट वितरण पर है. सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले यूपी में बीजेपी के 2 दर्जन से ज्यादा सांसदों के टिकट कट सकते हैं. दिलचस्प बात ये है कि इनकी जगह योगी सरकार के मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है.
दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी वजह बताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने कई सर्वे कराए हैं, जिनमें यह बात सामने आई है कि मोदी लहर में जीते ज्यादातर सांसदों के खिलाफ जनता में काफी विरोध है. यानी लोग अपने सांसद को पसंद नहीं कर रहे हैं.
ऐसे में पार्टी के भीतर लगभग यह सहमति बन गई है कि जिस सांसद का कामकाज संतोषजनक नहीं रहा है या फिर जो अपने संसदीय क्षेत्र में लोगों के बीच लोकप्रिय नहीं है, उसे दोबारा टिकट नहीं दिया जाएगा.
सुरक्षित सीटों पर कट सकते हैं ज्यादा टिकट
जिनके कामकाज को लेकर सवाल उठ रहे हैं, उनमें ज्यादातर सांसद ऐसे बताए जा रहे हैं जो दूसरी पार्टियों से आकर 2014 में चुनाव जीते थे. इनके अलावा आरक्षित सीटों के ज्यादातर सांसद भी इस श्रेणी में बताए जा रहे हैं.
योगी के ये ये दिग्गज मंत्री लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव
जानकारी ये भी है कि अगले दो-तीन दिनों में बीजेपी पहले और दूसरे चरण के उम्मीदवारों का ऐलान कर सकती है. माना जा रहा है की पार्टी अपने सभी उम्मीदवारों को 1 महीने से ज्यादा चुनाव प्रचार का वक्त देगी.