एक सितंबर से वर्ल्ड न्यूट्रीशन वीक मनाया जाता है। हर साल इसे मनाने की वजह यह है कि लोगों में न्यूट्रीशन के महत्व और जरूरत को समझाया जा सके। न्यूट्रीशन की कमी से कई बार ऐसे रोग हो जाते हैं जो जीवन भर के लिए कष्ट देते हैं। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटमिन्स और मिनिरल्स का मेल ही न्यूट्रीशन है।
कई बार स्किन प्रॉब्लम, बालों का अचानक तेजी से झड़ना, आंखों के नीचे काले घेरे, चिड़चिड़ाहट, सिरदर्द, कमजोरी, आंखों की रोशनी कम होना या भूलने की समस्याएं देखने को मिलती हैं। विटमिन्स और मिनिरल्स की कमी होते ही कई लक्षण हमारे अंदर देखने को मिलते हैं। इन लक्षणों को पहचानना ही जरूरी है। तो आइए आज कुछ ऐसे ही साइन्स की बात करते हैं जो किसी न किसी चीज़ की कमी को दर्शाता है।
कैल्शियम की कमी से टूटते हैं नाखून और हिलते हैं दांत
नाखूनों का टूटना, हल्की चोट पर भी फ्रेक्चर या मोच आना, दांतों का हिलना, मसल्स में अकड़न, पैरों संकुचन, हड्डीयों से चटक की आवाज आना कैल्शियम की कमी को बताता है। ये भले ही कॉमन साइन लगे लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत घातक होते हैं। कैल्शियम आपकी हड्डी से लेकर शरीर पूरा करने लगता है और इससे आस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा हो जाता है।
आयरन की कमी से आता है चक्कर
आयरन की कमी और अधिकता दोनों ही खतरनाक है। थकान, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, सिर दर्द, इर्रेगुलर पीरियड्स और कंस्ट्रेशन न बनना कमी के लक्षण हैं। जबकि जब आयरन अधिक होता है तो गोरा शरीर भी भूरा होने लगता है। ऑयरन का ज्यादा होने के लक्षण नजर नहीं आते लेकिन एक फील होने लगता है। कई बार आपके कुछ भी हाथ लगाते बिजली के करंट सा झटका लगना भी इसकी निशानी है। इसकी अधिकता से लीवर सिरोसिस, हर्ट में आयरन का अधिक पहुंचने से मांसपेशियों का सही काम न करना, हाथ पैरों में जकड़न या गठिया आदि हो सकते हैं। साल में एक बार इसकी जांच जरूरी है।
फोलिक एसिड
थैलेसिमिया जैसे रोग में सबसे ज्यादा कमी फोलिक एसिड की ही होती है। खून बनाने के लिए केवल ऑयरन की ही जरूरत नहीं होती बल्कि फोलिक एसिड का होना भी उतना ही जरूरी है। फोलिक एसिड की कमी के कारण बालों का झड़ना, तनाव, निगेटिव थॉट्स, थकावट, सांसों का फूलना या अचानक से तेज हर्ट बीट जैसे लक्षण होते हैं। याद रखिए खून की कमी के नाम पर अधिक आयरन देना कई बार खतरनाक हो जाता है। यही नहीं ये फोलिक एसिड की कमी को कभी पूरा नहीं कर सकता। प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड की अतिरिक्त खुराक लेनी होती है।
विटामिन ए की कमी
आंखों के काले घेरे, रोशनी कम होना, चश्मे का पावर बढ़ते जाना या नाइट ब्लाइंडनेंस ये सब कुछ विटामिन ए की कमी के लक्षण हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि जिन मांओं को विटमिन ए की कमी होती है उनके बच्चों में आंखों की बीमारी ज्यादा होती है और रौशनी भी कम होती है। विटामिन ए की कमी से इम्यून सिस्टम भी इफेक्टेड होता है।
विटामिन बी कांप्लेक्स की कमी
विटामिन बी यानी बी-कॉम्प्लेक्स की कमी कई रोगों को जन्म देती है। बाल गिरना, बार बार माइग्रेन का होना, पैरों या हांथों में झुनझुनी का होना, डायरिया और स्किन का रफ होते जाना इसके सामान्य लक्षण हैं। फोलिक एसिड के साथ विटामिन बी12 की कमी कई गंभीर बीमारी लाती है। बी-1 से बेरीबेरी, बी-3 की कमी से डायरिया, डिमेंशिया और विटामिन बी-9 की कमी से दिमाग की कमजोरी होने लगती है।
विटामिन डी
विटामिन डी की कमी के लक्षण तेजी से नजर आते हैं। पैरों की पिंडलियों में बेतहाशा दर्द रहना, कमर और जोड़ो में दर्द होना इसके खास लक्षण हैं। इसके अलावा हड्डियों से संबंधित कई समस्याएं और ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा रहता है।
फाइबर की कमी
अगर आपका पाचन तंत्र कमजोर हो जाये तो आपके शरीर में फाइबर की कमी है। फाइबर की कमी से खाना आसानी से नहीं पच पाता। पेट से जुड़ी दिक्कतें सामने आने लगती हैं। कांस्टिपेशन, पाइल्स, मरोड़ या पेट दर्द रहना समान्य लक्षण है।
सोडियम की कमी
जब आपको ऐसा लगे की आपके सूंघने और टेस्ट बड्स में बदलाव आ रहा तो समझ लें कि ये आपके शरीर में सोडियम की कमी को शो कर रहा है। सोडियम शरीर में संवेदनाओं को बढ़ाने का काम करता है। साथ ही अगर गर्मी के दिनों में ज्यादा स्वेटिंग हो तो शरीर से सोडियम के साथ अन्य मिनिरल्स भी निकल जाते हैं और इससे चक्कर आना, ज्यादा प्यास लगना, बार बार मुंह का सूखना जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।