केंद्रीय गृहमंत्री पहुंचे दतिया, करेंगे मां पीतांबरा के दर्शन

यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में जनसभा के बाद सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दतिया पहुंच गए हैं. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और अन्य कार्यकर्ताओं ने उनके स्वागत किया. अमित शाह दतिया में स्तिथ मां पीतांबरा माई के दर्शन करेंगे. सूत्रों की मानें तो शाह पांच राज्यों में जीत की कामना को लेकर मां पीतांबरा के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

पीतांबरा माई से यूपी फतह का लेंगे आशीर्वाद
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. ऐसे में पार्टी के नेता भगवान के दर पर भी मत्था टेकने से गुरेज नहीं कर रहे हैं. गृहमंत्री अमित शाह आज दतिया पहुंचकर पीतांबरा मंदिर में दर्शन करेंगे. सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री का दौरा केवल दतिया तक ही सीमित रहेगा. मंदिर में दर्शन करने के बाद वे ग्वालियर के लिए रवाना हो जाएंगे. अमित शाह के दौरे को लेकर दतिया में तैयारियां हो गई हैं.

यूपी के बुंदेलखंड में अमित शाह की तीन चुनावी सभाएं
केंद्रीय मंत्री अमित शाह आज उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने आ रहे हैं. वे यहां तीन चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. आज सबसे पहले सुबह वे झांसी एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से वह मऊरानीपुर में सभा के लिए निकले. इसके बाद बरुआसागर सागर और मेला मैदान में भी उनकी सभा हुई.

नेहरू के जमाने से राजसत्ता की देवी पीतांबरा पीठ आते रहे हैं नेता
विश्व विख्यात पीतांबरा पीठ मध्य प्रदेश के दतिया में है. ये सबसे लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है. पीताम्बरा पीठ की स्थापना 1935 में हुई थी. इसे बनाने वाले श्री स्वामी महाराज ने बचपन से ही संन्यास ग्रहण कर लिया था. वो प्रकांड विद्वान थे, उन्होंने संस्कृत और हिन्दी में कई किताबें भी लिखी थीं. यहां की मान्यता है कि माता से मांगी मन्नत हमेशा पूरी होती है.

मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं और राजसत्ता पाने के लिए मां की पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसे बताया जाता है कि चीन से युद्ध के दौरान पंडित नेहरू ने भी पीतांबरा माता से आशिर्वाद लिया था. भारत- चीन युद्ध के समय यहां फौजी अधिकारियों और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर 51 कुंडीय महायज्ञ कराया गया था, जिसके बाद 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं. उस समय बनाई गई यज्ञशाला आज भी यहां मौजूद है.

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