
अंगदान मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। जहां पति के अनापत्ति पत्र को लेकर कोर्ट का कहना है कि अंगदान एक नेक काम होता है अगर कोई भी महिला कानून अंगदान करना चाहती है तो उसे अपने पति की मंजूरी लेना कोई जरूरी नहीं है।’ क्योंकि ये कार्य किसी के जीवन को सवारने का काम करना होता है.। असल में एक मामले में पति का अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं होने से महिला के आवेदन पर संबंधित अस्पताल ने अंगदान की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई थी। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला व पुरुष के लिए अंगदान के नियम सामान हैं।
अंगदान से जुड़े नियमों के बारे में जानिए
अंगदान के लिए जीवनसाथी की आखिर क्यों है मंजूरी जरूरी
किसी भी स्थिति में अंगदान के दौरान जीवनसाथी की अनुमति की जरूरत नहीं है। संबंधित अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक कोई भी बालिग व मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति स्वेच्छा से अंगदान कर सकता है।
महिला अंगदान के क्या है नियम
महिला या पुरुष दाता के लिए अलग से नियम नहीं है। नियम 22 के अंतर्गत महिला या अंगदाता की पहचान की पुष्टि अंग पाने वाले के अतिरिक्त किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाना जरूरी है। नियम 18 के अंतर्गत प्राधिकृत समिति की ओर से करीबी परिजन के संबंध की पुष्टि जरूरी है। समिति पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि दस्तावेजों की जांच करने के बाद ही अंगदान की मंजूरी देती है।
अविवाहित अंगदाता के लिये ये है जरूरी
नाबालिग को अंगदान पर सामान्यतः राेक है, पर अति विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसा करने के लिए नियम 5(3) (जी) में प्रावधान है। ऐसे हालात में प्राधिकृत अधिकारी और राज्य सरकार की मंजूरी के बाद इस अपवाद को क्रियान्वित किया जा सकता है।