अमेरिकी राजदूत को देश से निकालने की उठी मांग, जानिए क्यों

पाकिस्तान की कट्टरपंथी धार्मिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी ने अमेरिकी राजदूत को देश से निकालने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। पार्टी के चीफ सिराज-उल-हक ने कहा- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क बताकर हमारी तौहीन की है। लिहाजा, पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत डोनाल्ड ब्लूम को फौरन देश से निकाल देना चाहिए।

पिछले साल फ्रांस में आपत्तिजनक मजहबी कार्टून के मामले पर तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) ने फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग की थी। इस दौरान हुई हिंसा में 8 पुलिसवालों की मौत हो गई थी।

अमेरिका का नौकर नहीं है पाकिस्तान

जमात-ए-इस्लामी के चीफ सिराज-उल-हक ने सोमवार को कहा- आखिर अमेरिका को किस बात का गुरूर है। पाकिस्तान एक आजाद मुल्क है और हम पाकिस्तानी लोग उसके नौकर नहीं हैं। देश के पूर्व और वर्तमान हुक्मरानों से मेरी अपील है कि वो हर हालत में अमेरिकी राष्ट्रपति की इस हरकत का खुलकर विरोध करें। हमारे देश में अमेरिका का जो एम्बेसेडर है, उसे फौरन यहां से निकाला जाए।

हक ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से भी अपील की। कहा- इमरान हमेशा से अमेरिका का विरोध करते आए हैं। उन्हें इस वक्त बिल्कुल चुप नहीं रहना चाहिए। इस्लामाबाद में बैठी सरकार को भी चाहिए कि वो सख्त रुख अपनाए और अमेरिकी को देश से निकाले।

क्यों बिफरा पाकिस्तान

पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एक प्रोग्राम में मौजूद थे। इस दौरान स्पीच भी दी और पाकिस्तान को लेकर बहुत सख्त टिप्पणी कर दी। कहा- पाकिस्तान इस दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। वो इसलिए और भी खतरनाक हो जाता है, क्योंकि उसके पास एटमी हथियार हैं और इनकी हिफाजत के लिए कोई मैकेनिज्म मौजूद नहीं है।

बाइडेन की इस टिप्पणी का पाकिस्तान में भारी विरोध जारी है। शाहबाज शरीफ सरकार पर दबाव बढ़ा तो उसने अमेरिकी एम्बेसेडर को बुलाकर बाइडेन के बयान पर आपत्ति जताई। हालांकि, इसके बावजूद अमेरिका की तरफ से अब तक कोई सफाई नहीं आई।
बाइडेन की टिप्पणी के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी सामने आए। कहा- अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमारे मुल्क को लेकर जो कुछ कहा है, वो गलत है। हमने 10 साल में अपनी एटमी ताकत को बहुत हिफाजत से रखा है। पाकिस्तान बेहद जिम्मेदार मुल्क है।

फ्रांस के खिलाफ भी प्रदर्शन हुए थे

दो साल पहले पाकिस्तान में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन तब शुरू हुए थे, जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने देश में पब्लिश हुए विवादित कार्टून का समर्थन किया था। पाकिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों ने इसे ईश निंदा मानकर फ्रांस का विरोध करना शुरू कर दिया था। इन देशों ने फ्रांस के प्रोडक्ट्स का भी बायकॉट किया था।

पाकिस्तान में विरोध सबसे ज्यादा हुआ। यहां साद हुसैन रिजवी नाम के कट्‌टर इस्लामिक धर्म गुरु ने फ्रेंच राजनायिक को देश से निकालने के लिए मोर्चा खोल दिया। रिजवी की पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के हजारों समर्थक सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने लगे। 8 पुलिसवाले मारे गए। खास बात यह है कि पाकिस्तान में फ्रांस का कोई राजदूत है ही नहीं।

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