
भास्कर समाचार सेवा
सिकंदराबाद। जमीयत उलेमा हिंद, की स्थानीय शाखा के बैनर तले शाही जामा मस्जिद में उलेमा और नगर के मुस्लिम संगठनों, संस्थानों, मस्जिदों , मदरसों के ज़िम्मेदारों की हुई बैठक में सर्वसहमति से शादी विवाहों में फैली कुरूतियों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
रविवार को प्रातः क़ाज़ी वाड़ा स्थित शाही जामा मस्जिद में इमाम ईदेन मौलाना अरशद क़ासमी की अध्यक्षता में एक अहम बैठक की गई। जिसका संचालन करते हुए क़ाज़ी ए शहर मौलाना आरिफ़ क़ासमी ने शादी वग़ैरह में फैल रही कुरूतियों जैसे डी जे बाजा बजाना, नाच गाना, आतिशबाज़ी करना आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला। अध्यक्ष मौलाना अरशद क़ासमी ने कुरूतियों को रोकने के लिए उपस्थित लोगों को प्रेरित किया। विभिन्न सम्मानित व्यक्तियों ने भी विचार रखे। अन्त में सर्वसहमति से सभी कुरूतियों को ख़त्म करने का प्रस्ताव पारित किया गया। उलेमा ने एकजुट हो कर कहा कि यदि किसी शादी समारोह में डी जे, बाजे, आतिशबाज़ी नाच गाने का प्रयोग हुआ तो वे निकाह नहीं पढ़ाएंगे न किसी दूसरे को निकाह पढ़ाने देंगे। इस प्रस्ताव को सभी ने हर्ष ध्वनि से पास किया। तब्लीगी जमात के ज़िम्मेदार हाजी शाहिद अंसारी की दुआ पर बैठक संपन्न हुई।
इस अवसर पर मुफ़्ती नसीम क़ासमी, क़ारी शफ़ात खाँ, क़ारी इकराम अहमद, मौलाना निज़ामुद्दीन क़ासमी, मौलाना मिन्नत क़ासमी, मौलाना जुनैद, मौलाना गुल सनव्वर क़ासमी, हाजी रफीक़ुद्दीन, जन्नेल ग़ाज़ी, आबिद सिद्दीक़ी, अमान उल्लाह ख़ालिद, मक़सूद जालिब, रिज़वान क़ुरैशी, नफ़ीस सिद्दीकी, मास्टर नईम अहमद, इश्तियाक अहमद, सलीम मलिक एडवोकेट, आबिद ग़ाज़ी सहित सभी बिरादरियों के ज़िम्मेदार तथा मस्जिदों के इमाम भी ख़ास तौर पर मौजूद रहे।