बैंक फ्रॉड केस में ED ने की बड़ी कार्रवाई, जेट एयरवेज की 538 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी जब्त

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक फ्रॉड के एक मामले में जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल और पांच अन्य के खिलाफ कार्रवाई की है। ED ने इस मामले में 538 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी जब्त की है। कुर्क की गई संपत्तियों में विभिन्न कंपनियों और लोगों के नाम पर 17 आवासीय फ्लैट, बंगले और कॉमर्शियल कैंपस शामिल हैं।

इससे पहले ED ने 31 अक्टूबर को नरेश गोयल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। यह मामला केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपए के फ्रॉड (मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़ा है। इसी मामले में ED ने नरेश गोयल को 1 सितंबर को गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल मुंबई की आर्थर रोड जेल में कैद हैं।

तीन पॉइंट में पूरा मामला समझें

जेट को 848.86 करोड़ रुपए की क्रेडिट लिमिट और लोन दिए गए थे, जिसमें से 538.62 करोड़ रुपए बकाया हैं। ये अकाउंट 29 जुलाई 2021 में ‘फ्रॉड’ घोषित किया गया था।

CBI ने 5 मई को गोयल के मुंबई स्थित ऑफिस सहित 7 ठिकानों की तलाशी ली थी। नरेश गोयल, अनीता गोयल और जेट एग्जीक्यूटिव गौरांग शेट्टी के घर पर भी छापे पड़े थे।

CBI की FIR के आधार पर ED ने 19 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। तब ED ने भी गोयल और उनके साथियों के ठिकानों पर छापेमारी कर तलाशी ली थी।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में 1 सितंबर को ED ने मुंबई ऑफिस में पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था। वे तभी से न्यायिक हिरासत में हैं।

बैंक का आरोप- पैसों की हेराफेरी की गई

केनरा बैंक ने आरोप लगाया था कि जेट एयरवेज की फोरेंसिक ऑडिट में पाया गया कि जेट ने अपने से जुड़ी कपंनियों यानी ‘रिलेटेड कंपनियों’ को 1,410.41 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। ऐसा कंपनी के अकाउंट से पैसा निकालने के लिए किया गया।

गोयल परिवार के पर्सनल खर्चे- जैसे स्टाफ की सैलरी, फोन बिल और व्हीकल एक्सपेंस, सब जेट एयरवेज से ही होते थे। गोयल ने 1993 में जेट एयरवेज की स्थापना की थी। 2019 में एयरलाइन का चेयरमैन पद छोड़ दिया था।

अप्रैल 2019 से बंद है जेट एयरवेज

जेट एयरवेज एक समय भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस में से एक थी और एयरलाइन को साउथ एशियन नेशन की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन का दर्जा हासिल था। फिर, कर्ज में दबे होने के कारण जेट एयरवेज 17 अप्रैल 2019 में ग्राउंडेड हो गई थी।

जून 2021 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के बैंकरप्सी रिजोल्यूशन प्रोसेस के तहत जालान​​​-​कालरॉक कंसोर्टियम ने जेट एयरवेज की बोली जीत ली। इसके बाद से जेट के रिवाइवल की प्रोसेस चल रही है, लेकिन अब तक एयरलाइन शुरू नहीं हो पाई है।

ये कंसोर्टियम मुरारी लाल जालान और कालरॉक कैपिटल की जॉइंट कंपनी है। जालान एक दुबई बेस्ड बिजनेसमैन हैं। वहीं कालरॉक कैपिटल मैनेजमेंट लिमिटेड फाइनेंशियल एडवाइजरी और ऑल्टरनेटिव एसेट मैनेजमेंट के क्षेत्र में काम करने वाली लंदन बेस्ड ग्लोबल फर्म है।

नरेश गोयल ने की थी जेट एयरवेज की शुरुआत

1990 के दशक की शुरुआत में टिकटिंग एजेंट से एंटरप्रेन्योर बने नरेश गोयल ने जेट एयरवेज इंडिया लिमिटेड की शुरुआत कर लोगों को एअर इंडिया का ऑल्टरनेटिव दिया था। एक वक्त जेट के पास कुल 120 प्लेन थे और वो लीडिंग एयरलाइन में से एक हुआ करती थी। ‘दि जॉय ऑफ फ्लाइंग’ टैग लाइन वाली कंपनी जब पीक पर थी तो हर रोज 650 फ्लाइट्स का ऑपरेशन करती थी। जब कंपनी बंद हुई तो उसके पास केवल 16 प्लेन रह गए थे। मार्च 2019 तक कंपनी का घाटा 5,535.75 करोड़ रुपए का हो चुका था।

मामा की ट्रैवल एजेंसी से शुरू किया था करियर

अप्रैल 2019 में 25 साल तक चलने के बाद जेट एयरवेज भारी कर्ज में डूबी, इसके बाद कंपनी बंद हो गई थी। नरेश गोयल इस कंपनी के संस्थापक थे। बचपन में ही नरेश गोयल के पिता का निधन हो गया। 11 साल की उम्र में परिवार पर आए आर्थिक संकट के कारण उन्हें घर नीलाम करना पड़ा। फिर वो अपनी मां के चाचा के साथ रहने लगे।

नरेश ने 1967 में अपने मामा की ट्रैवल एजेंसी में कैशियर के रूप में करियर शुरू किया। उनकी पहली सैलरी 300 थी। ग्रेजुएशन के बाद, वह लेबनानी इंटरनेशनल एयरलाइंस के लिए जीएसए के साथ ट्रैवल बिजनेस में शामिल हो गए और ट्रैवल एजेंसी चलाने लगे।

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